श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर उत्तर और पूर्वी भारत में सोमवार को मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी. इस दौरान हर ओर 'हरे कृष्ण' के जयकारों की गूंज सुनाई दी.
जन्माष्टमी पर सोमवार मध्य रात्रि जब घड़ी ने 12 बजाए और भागवत भवन मंदिर के कपाट ‘प्राकट्य दर्शन (कृष्ण का स्वरूप)' के लिए खुले तो श्री कृष्ण जन्मस्थान पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा.
कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने बताया, "महाआरती के बाद पुजारियों और श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के ट्रस्टी अनुराग डालमिया ने ट्रस्ट के अध्यक्ष संत नृत्य गोपाल दास की मौजूदगी में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच "अभिषेक समारोह" शुरू किया. लगभग 40 मिनट तक दूध, दही, शहद, खांडसारी, घी और हर्बल औषधियों के मिश्रण से अभिषेक किया गया."
जन्मस्थान संस्थान के अधिकारियों ने बताया कि अभिषेक समारोह पांच मिनट तक चली 'श्रृंगार आरती' के साथ संपन्न हुआ. मंदिर का द्वार रात दो बजे तक खुला रहेगा, जबकि तीर्थयात्रियों को रात डेढ़ बजे तक जन्मस्थान क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति दी गई है.
वातावरण ‘हरे कृष्ण' के जयकारे और भजनों से वातावरण गूंज उठा और श्रद्धालु मधुर संगीत पर नाचते-गाते रहे. भगवान कृष्ण और राधा की वेशभूषा में सजे बच्चे अपने माता-पिता के साथ मंदिरों में पहुंचे.
शंख, ढोल, झांझ और मृदंग की ध्वनि के बीच भक्तों के नाचने-गाने के साथ ही श्रीकृष्ण जन्मस्थान का वातावरण 'नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की' से गूंज उठा.
दिल्ली के लक्ष्मी नारायण मंदिर (बिड़ला मंदिर) को जन्माष्टमी के अवसर पर रोशनी से सजाया गया. शहर के अन्य मंदिरों में भी ऐसा ही किया गया.
ईस्ट ऑफ कैलाश स्थित इस्कॉन मंदिर में महा पूजा की गई और भगवान को 1,008 विभिन्न व्यंजनों का भोग लगाया गया.