सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन ने एक हाई-प्रोफाइल फर्जीवाड़ा और रिश्वतखोरी मामले में अजीत कुमार पात्रा और उसके साथी मिंकू लाल जैन को गिरफ्तार किया है. CBI को मिली पुख्ता जानकारी के बाद खुलासा हुआ कि ये दोनों वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों, मंत्रालयों और जांच एजेंसियों के अफसर बनकर लोगों से पैसे ऐंठने का काम कर रहे थे.
CBI की जांच में सामने आया कि अजीत कुमार पात्रा और उसका साथी मिंकू जैन कई विभागों और एजेंसियों के बड़े अफसरों के नाम पर लोगों को डराते-धमकाते थे. ये दोनों सरकारी संपर्क और बड़े अफसरों से करीबी का दावा करते थे.
कई बार इन्हें VIP ट्रीटमेंट, सरकारी गेस्ट हाउस में ठहरने, और हाई सिक्योरिटी इलाकों में एंट्री तक मिल जाती थी. ये धार्मिक आयोजनों और सरकारी कार्यक्रमों में खुद को सेंट्रल एजेंसियों का अधिकारी बताकर शामिल होते थे. CBI को मिली जानकारी के मुताबिक, 4 नवंबर 2025 को DGGI (Directorate General of GST Intelligence) जयपुर ने साइबडियर नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ विनोद परिहार के ठिकानों पर छापा मारा था.
विनोद परिहार ने गिरफ्तारी से बचने के लिए अजीत पात्रा और उसके साथी से मदद मांगी, जिन्होंने बदले में 18 लाख रुपये की रिश्वत मांगी. 10 नवंबर को, CBI ने जाल बिछाकर दोनों को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया, जब ये 18 लाख रुपये की रिश्वत की रकम ले रहे थे.
छापेमारी के दौरान CBI को 18 लाख रुपये की ट्रैप मनी,लगभग 3.7 करोड़ रुपये नकद, करीब 1 किलो सोना,26 प्रॉपर्टी डाक्यूमेंट्स (अजीत पात्रा और उसके रिश्तेदारों के नाम),4 लग्जरी कारें और 12 अन्य वाहन
,कई डिजिटल डिवाइस और अन्य आपत्तिजनक दस्तावेज़ . दिल्ली, राजस्थान और ओडिशा में छापेमारी के दौरान बरामद हुए
CBI फिलहाल यह पता लगाने में जुटी है कि इस नेटवर्क में और कौन-कौन शामिल था, और क्या कुछ सरकारी अधिकारी भी इसमें मिलीभगत कर रहे थे.














