केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 6,000 करोड़ रुपये से अधिक के गेन बिटकॉइन पोंजी ‘घोटाले' में उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर दर्ज मामले के सिलसिले में एक ऑडिट कंपनी के कर्मचारी गौरव मेहता को बुधवार को तलब किया. अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने मेहता को जल्द से जल्द मामले के जांच अधिकारी के सामने पेश होने का निर्देश दिया है.
शीर्ष अदालत ने पिछले साल दिसंबर में मामला सीबीआई को सौंप दिया था. केंद्रीय एजेंसी ने गेन बिटकॉइन पोंजी योजना के संबंध में विभिन्न राज्यों की पुलिस द्वारा दर्ज मामलों की जांच अपने हाथ में ले ली है. महाराष्ट्र और दिल्ली पुलिस ने वेरिएबल टेक पीटीई लिमिटेड, दिवंगत अमित भारद्वाज और अजय भारद्वाज तथा अन्य के खिलाफ कथित तौर पर ‘मल्टी-लेवल-मार्केटिंग' (एमएलएम) योजनाएं चलाने के लिए कई मामले दर्ज किए थे, जिनके माध्यम से उन्होंने 2017 में निवेशकों से बिटकॉइन के रूप में लगभग 6,600 करोड़ रुपये एकत्र किए और क्रिप्टोकरेंसी (आभासी मुद्रा) में 10 फीसदी रिटर्न की पेशकश की.
बिटकॉइन एक क्रिप्टोकरेंसी है, जिस पर किसी भी देश के केंद्रीय बैंक का नियंत्रण नहीं है. सीबीआई ने मेहता के परिसरों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की छापेमारी के बाद नोटिस जारी किया है. ईडी ने कहा कि उसने गेन बिटकॉइन पोंजी घोटाला मामले में अपनी जांच का दायरा बढ़ा दिया है और मेहता व कुछ अन्य लोगों के नेताओं, नौकरशाहों व उच्च पदस्थ अधिकारियों के साथ “संबंधों” की पड़ताल कर रही है.
मेहता का नाम भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी रवींद्रनाथ पाटिल ने भी लिया था, जिन्हें 2018 के क्रिप्टोकरेंसी “धोखाधड़ी” मामले में गिरफ्तार किया गया था, जिसकी जांच पुणे पुलिस कर रही थी. ईमेल के माध्यम से निर्वाचन आयोग को भेजी गई अपनी शिकायत में पाटिल ने अपने पास मौजूद कथित चैट के हवाले से कहा था कि ऐसा प्रतीत होता है कि पिछले लोकसभा चुनावों और विधानसभा चुनावों में अरबों रुपये के सैकड़ों बिटकॉइन का इस्तेमाल किया गया. उन्होंने कहा था कि यह भी प्रतीत होता है कि मेहता ने अरबों रुपये के बिटकॉइन का दुरुपयोग किया है.