कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैय्या के लिए गले की फांस बनी जातीय गणना की रिपोर्ट

माना जा रहा है कि रिपोर्ट सामने आने से लिंगायत और वोक्कालिगा जातियों का कर्नाटक में वर्चस्व खत्म हो सकता है

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मुख्यमंत्री सिद्धारमैय्या और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ओबीसी समुदाय से हैं (फाइल फोटो).
बेंगलुरु:

कर्नाटक (Karnataka) की सिद्धारमैय्या सरकार (Siddaramaiah Government) पर अब कई संगठन दबाव बना रहे हैं कि वह जल्द से जल्द जातीय गणना (Caste Census) रिपोर्ट जारी करे. सरकार दबाव में है क्योंकि माना जा रहा है कि रिपोर्ट सामने आने से लिंगायत और वोक्कालिगा जातियों का कर्नाटक में वर्चस्व खत्म हो सकता है. मुख्यमंत्री सिद्धारमैय्या और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार भी ओबीसी हैं. मुस्लिम और अनुसूचित जाति (Schedule Caste) के लोग भी कास्ट सेंसस जारी करने का दबाव बना रहे हैं.

2014 में कराया गया था एजुकेशन एंड सोशल सर्वे

सिद्धारमैय्या ने मुख्यमंत्री के तौर पर एजुकेशन एंड सोशल सर्वे 2014 में करवाया था. लेकिन अब इसकी रिपोर्ट सिद्धारमैय्या के गले की फांस बन गई है. इस रिपोर्ट को कान्तरजु ने तैयार किया था. जानकारी के मुताबिक रिपोर्ट आने पर लिंगायत और वोक्कालिगा का दबदबा जनसंख्या के आधार पर खत्म हो जाएगा. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और मुस्लिम आबादी ओबीसी के साथ दूसरी जातियों से काफी आगे है. ऐसे में अब सिद्धारमैय्या पर रिपोर्ट जारी करने का दबाव अलग-अलग जातियों की ओर से पड़ रहा है.

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रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ मोहन राज ने कहा कि, ''कुछ बड़ी जातियां जो 75 सालों से राज कर रही हैं वे कास्ट सेंसस जारी न करने का दबाव बना रही हैं. सिद्धारमैय्या 'अहिंदा' ( दलितों, मुस्लिमों और पिछड़ वर्ग के हितों के लिए मुहिम) की बात करते हैं, सबसे पहले वे इस रिपोर्ट को जारी करें.''

एसडीपीआई नौ से 13 अक्टूबर तक विरोध प्रदर्शन करेगी

एसडीपीआई के अध्यक्ष अब्दुल मजीद ने कहा कि, कास्ट सेंसस रिपोर्ट जारी करने में सरकार क्यों हिचक रही है. मेरी पार्टी नौ से 13 तारीख तक पूरे कर्नाटक में इसे जारी करने की मांग लेकर प्रदर्शन करेगी.

कर्नाटक में लिंगायत और वोक्कालिगा का वर्चस्व माना जाता रहा है. इसकी छाप सिद्धारमैय्या कैबिनेट पर भी दिखती है. 34 सदस्यों वाली सिद्धारमैय्या कैबिनेट में अन्य धर्मों और जातियों के अलावा सात मंत्री लिंगायत हैं और पांच वोक्कालिगा हैं. अनुसूचित जाति के छह, अनुसूचित जनजाति के तीन, ओबीसी के छह और मुस्लिम समुदाय के दो मंत्री हैं. 

आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व देने की मांग उठेगी

कर्नाटक में जातीय सर्वे रिपोर्ट के आंकड़ों में जिस धर्म या समाज की आबादी जितनी होगी मंत्रिमंडल और चुनावों में उसी अनुपात में प्रतिनिधित्व देने की मांग उठेगी. ऐसे में  मुख्यमंत्री सिद्धारमैय्या काफी दबाव में हैं. वे इसका सीधा जवाब नहीं देते हैं कि रिपोर्ट सार्वजनिक होगी तो कब तक होगी?

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सिद्धारमैया के पास रिपोर्ट को लेकर कोई सीधा जवाब नहीं

सिद्धारमैया ने कहा कि, ''पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के रूप में जयप्रकाश हेगड़े को बीजेपी लाई थी. उनके पास रिपोर्ट तैयार है, लेकिन उस पर सचिव के हस्ताक्षर नहीं हैं. मैंने उनसे पहले भी पूछा था और उन्होंने आश्वासन दिया था कि वे इस रिपोर्ट को हमें सौंपेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. हम देख रहे हैं.''

कास्ट सेंसस रिपोर्ट जारी होते ही जिस समुदाय या जाति की जनसंख्या ज्यादा होगी वह मंत्रिमंडल से लेकर चुनावों में भी अपना प्रतिनिधित्व उसी अनुपात में मांगेगा. यानी मौजूदा पोलिटिकल डायनामिक्स बदलेगा. लोकसभा चुनाव सामने हैं, ऐसे में सिद्धारमैय्या और उनकी पार्टी तय नहीं कर पा रही कि मौजूदा हालात से कैसे निपटें.

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