नकदी बरामदगी: न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने जांच समिति के समक्ष पेश होने से पहले वकीलों से सलाह ली

न्यायमूर्ति वर्मा पर आरोप है कि 14 मार्च की रात करीब 11.35 बजे आग लगने की घटना के बाद उनके लुटियंस स्थित आवास में ‘‘नोटों से भरी चार से पांच अधजली बोरियां’’ पाई गईं.

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राष्ट्रीय राजधानी स्थित सरकारी आवास से नकदी की बरामदगी के मामले में जांच का सामना कर रहे दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा ने आंतरिक जांच समिति के समक्ष पेश होने से पहले बुधवार को वकीलों की एक टीम से मुलाकात की. सूत्रों के अनुसार, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल, मेनका गुरुस्वामी, अरुंधति काटजू और वकील तारा नरूला से कानूनी सलाह मांगी, जो उनके आवास पर आए थे.

उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त तीन सदस्यीय आंतरिक जांच समिति के इस सप्ताह न्यायमूर्ति वर्मा से मिलने की संभावना है. समिति ने मंगलवार को न्यायमूर्ति वर्मा के 30, तुगलक क्रीसेंट स्थित आवास का दौरा किया और उनके खिलाफ आरोपों की जांच शुरू की.

समिति में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जी एस संधावालिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय की न्यायाधीश अनु शिवरामन शामिल हैं. तीनों न्यायाधीश करीब 30-35 मिनट तक न्यायमूर्ति वर्मा के आधिकारिक आवास के अंदर रहे और निरीक्षण किया.

इस महत्वपूर्ण जांच के निष्कर्ष न्यायमूर्ति वर्मा के भाग्य का फैसला करेंगे, जिन पर आरोप है कि 14 मार्च की रात करीब 11.35 बजे आग लगने की घटना के बाद उनके लुटियंस स्थित आवास में ‘‘नोटों से भरी चार से पांच अधजली बोरियां'' पाई गईं.

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