750 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी मामले में पेन निर्माता कंपनी Rotomac Global पर केस दर्ज

बैंक ने आरोप लगाया कि कंपनी की विदेशी व्यापार आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उसने 11 साख पत्र (एलसी) जारी किए थे. ये सभी पत्र हस्तांतरित कर दिए गए थे, जो 743.63 करोड़ रुपये के बराबर है.

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प्रतीकात्‍मक फोटो
नई दिल्‍ली:

केंद्रीय जांच ब्‍यूरो (CBI) ने इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी) के साथ 750.54 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी के मामले में कानपुर की रोटोमैक ग्लोबल और उसके निदेशकों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. पेन बनाने वाली कंपनी पर बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले सात बैंकों के गठजोड़ (कंसोर्टियम) का कुल 2,919 करोड़ रुपये का बकाया है. इस बकाये में इंडियन ओवरसीज बैंक का हिस्सा 23 फीसदी है. जांच एजेंसी ने कंपनी और उसके निदेशकों साधना कोठारी और राहुल कोठारी के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के अलावा आपराधिक साजिश (120-बी) और धोखाधड़ी (420) से संबंधित आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है. बैंकों के गठजोड़ के सदस्यों की शिकायतों के आधार पर कंपनी पहले से ही सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच के घेरे में है.

सीबीआई को अपनी शिकायत में इंडियन ओवरसीज बैंक ने आरोप लगाया कि कंपनी को 28 जून, 2012 को 500 करोड़ रुपये की गैर-कोष आधारित राशि सीमा स्वीकृत की गई थी. वहीं, 750.54 करोड़ रुपये की बकाया राशि में चूक के बाद खाते को 30 जून, 2016 को गैर-निष्पादित आस्ति (एनपीए) घोषित कर दिया गया था. बैंक ने आरोप लगाया कि कंपनी की विदेशी व्यापार आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उसने 11 साख पत्र (एलसी) जारी किए थे. ये सभी पत्र हस्तांतरित कर दिए गए थे, जो 743.63 करोड़ रुपये के बराबर है.

बैंक का आरोप है कि दस्तावेजों के अभाव में लदान के बिलों में दावा किए गए व्यापारिक जहाज और यात्राओं की प्रामाणिकता पर संदेह है. बैंक द्वारा किए गए फॉरेंसिक ऑडिट में बही-खाते में कथित हेरफेर और एलसी से उत्पन्न होने वाली देनदारियों का खुलासा न करने के संकेत मिले थे. ऑडिट में लेखापरीक्षा में बिक्री अनुबंधों, लदान के बिलों और संबंधित यात्राओं में भी अनियमितताएं पाई गई हैं. इसमें कहा गया है कि कुल की 92 प्रतिशत यानी 26,143 करोड़ रुपये की बिक्री एक ही मालिक और समूह के चार पक्षों को की गई. बैंक ने आरोप लगाया कि इन पक्षों या पार्टियों को प्रमुख आपूर्तिकर्ता रोटोमैक समूह था. वहीं इन पक्षों की ओर से खरीद करने वाला बंज ग्रुप था. रोटोमैक समूह को उत्पादों की बिक्री करने वाला प्रमुख विक्रेता बंज ग्रुप था. इन चारों विदेशी ग्राहकों का समूह के साथ संबंध था.कंपनी ने कथित रूप से बैंक के साथ धोखाधड़ी की और धन को इधर-उधर किया. इससे बैंक को वित्तीय नुकसान हुआ और कंपनी ने खुद गलत तरीके से 750.54 करोड़ रुपये का लाभ कमाया. अभी इसकी वसूली नहीं हो सकी है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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