"राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते व्यापार बढ़ने की हुई शुरुआत ": गौतम अडानी

अपनी प्रबंधन शैली के बारे में बताते हुए उद्योगपति ने कहा, "हमारे सभी व्यवसाय पेशेवर, सक्षम सीईओ द्वारा चलाए जाते हैं. मैं उनके दैनिक कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करता. मेरी भूमिका रणनीति तैयार करने, पूंजी आवंटन और उनकी समीक्षा करने तक सीमित है." 

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गौतम अडानी ने इंडिया टुडे के साथ एक साक्षात्कार में कहा, "प्रधानमंत्री मोदी और मैं एक ही राज्य से हैं. इस कारण मुझ पर निराधार आरोप लगाना सबसे आसान है."
नई दिल्ली:

देश और दुनिया के जाने-माने उद्योगपति गौतम अडानी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपने संबंधों से लाभ उठाने के आरोपों का खंडन करते हुए बुधवार को कहा कि उनके व्यापारिक साम्राज्य के विकास को किसी एक राजनीतिक नेता से नहीं जोड़ा जा सकता है. उन्होंने कहा कि अडानी समूह की यात्रा तीन दशक से भी पहले शुरू हुई थी. तब कांग्रेस के राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे. 

गौतम अडानी ने इंडिया टुडे के साथ एक साक्षात्कार में कहा, "प्रधानमंत्री मोदी और मैं एक ही राज्य से हैं. इस कारण मुझ पर निराधार आरोप लगाना सबसे आसान है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस तरह के विवादों में मुझे धकेला जा रहा है. हमारे समूह की सफलता को अल्पकालिक नजरिए से देखते हुए ये आरोप पूर्वाग्रह से ग्रस्त हैं. इस मामले का तथ्य यह है कि मेरी पेशेवर सफलता किसी एक व्यक्ति या नेता के कारण नहीं है, बल्कि तीन दशकों से अधिक की लंबी अवधि के दौरान कई नेताओं और सरकारों द्वारा शुरू की गई नीति और संस्थागत सुधारों के कारण है." 

गौतम अडानी ने कहा, "कई लोगों को यह जानकर आश्चर्य होगा कि यह सब राजीव गांधी के प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान शुरू हुआ था. राजीव गांधी ने पहली बार निर्यात-आयात (एग्जिम) नीति को उदार बनाया था. यह मेरे बिजनेस के लिए पहला बड़ा मौका था. अगर राजीव गांधी न होते तो उद्यमी के रूप में मेरी यात्रा शुरू नहीं होती. दूसरा बड़ा मौका मुझे 1991 में मिला, जब नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह की जोड़ी ने व्यापक आर्थिक सुधारों की शुरुआत की. कई अन्य उद्यमियों की तरह, मैं भी उन सुधारों का लाभार्थी था."

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बिजनेस टाइकून ने बताया कि उनके करियर को "तीसरा मौका" 1995 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में भाजपा नेता केशुभाई पटेल के बनने पर मिला. गौतम अडानी ने कहा, "केशुभाई पटेल ने गुजरात में तटीय विकास पर ध्यान केंद्रित किया और इसके कारण मुंद्रा में मैंने अपना पहला बंदरगाह बनाया. वहीं चौथा मौका 2001 में मिला, जब गुजरात ने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विकास पर बड़े पैमाने पर ध्यान केंद्रित किया. नरेंद्र मोदी की नीतियों और उनके कार्यान्वयन ने न केवल राज्य के आर्थिक परिदृश्य को बदल दिया ... इसने उद्योगों और रोजगार को भी प्रभावित किया."

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गौतम अडानी ने कहा, "आज, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सक्षम नेतृत्व में, हम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक समान पुनरुत्थान देख रहे हैं, जहां एक नया भारत अब खुद को स्थापित कर रहा है." बिजनेस टाइकून ने यह भी कहा कि वह रिलायंस इंडस्ट्रीज के संस्थापक धीरूभाई अंबानी से "प्रेरित" थे. गौतम अडानी ने कहा,"धीरूभाई अंबानी भारत में लाखों नवोदित उद्यमियों के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं. उन्होंने दिखाया है कि कैसे एक विनम्र व्यक्ति बिना किसी समर्थन या संसाधनों के और सभी बाधाओं के खिलाफ न केवल एक विश्व स्तरीय व्यवसाय समूह स्थापित कर सकता है, बल्कि एक विरासत भी छोड़ सकता है. पहली पीढ़ी के उद्यमी होने के नाते और एक विनम्र शुरुआत होने के कारण, मैं उनसे बहुत प्रेरित हूं."

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अपनी प्रबंधन शैली के बारे में बताते हुए उद्योगपति ने कहा, "हमारे सभी व्यवसाय पेशेवर, सक्षम सीईओ द्वारा चलाए जाते हैं. मैं उनके दैनिक कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करता. मेरी भूमिका रणनीति तैयार करने, पूंजी आवंटन और उनकी समीक्षा करने तक सीमित है. यही कारण है कि मेरे पास न केवल इतने बड़े और विविध संगठन का प्रबंधन करने का समय है, बल्कि कई नए व्यवसायों को सहेजने और अधिग्रहण के लिए नए अवसरों की तलाश करने का भी समय है." 

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