सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court) ने पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) द्वारा हत्या के मामले में एक आरोपी को जमानत देने के आदेश को खारिज करते हुए कहा है कि किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता एक अनमोल अधिकार है लेकिन अदालतें जमानत याचिका पर विचार करते समय आरोपों की गंभीर प्रकृति की अनदेखी नहीं कर सकती हैं. कोर्ट ने पटना जिले की एक पंचायत के मुखिया पप्पू सिंह को जमानत (Bail Plea) देने के हाईकोर्ट के फैसले की आलोचना की. पीठ ने वकील समरहर सिंह की दलीलों का संज्ञान लिया कि आरोपी ने 2020 में रूपेश कुमार की हत्या करने से पहले 2017 में भी उन्हें मारने का प्रयास किया था और 7 महीने से फरार था. पीठ ने कहा कि अदालतों को इस तरह की याचिकाओं का निपटारा करने के दौरान स्वतंत्रता के अधिकार और मामले की गंभीरता के बीच संतुलन बनाना होगा.
पीठ ने कहा कि जमानत याचिका पर विचार करते समय प्रथमदृष्टया निष्कर्ष कारणों से समर्थित होना चाहिए और रिकॉर्ड पर लाए गए मामले के महत्वपूर्ण तथ्यों को ध्यान में रखते हुए किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जाना चाहिए. पीठ ने फैसले में कहा, ‘हम इस तथ्य से अवगत हैं कि किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता एक अनमोल अधिकार है. साथ ही अदालतों द्वारा जमानत की याचिकाओं पर विचार करते समय किसी आरोपी के खिलाफ आरोपों की गंभीर प्रकृति और तथ्यों से संबंधित तथ्यों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता'
मामले के तथ्यों पर गौर करते हुए हुए पीठ ने कहा कि आरोपी कई आपराधिक मामलों में मुकदमे का सामना कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने वकील की दलीलों पर भी ध्यान दिया कि आरोपी ने उच्च न्यायालय के समक्ष अपने आपराधिक अतीत को छुपाया था.
पुलिस के अनुसार पप्पू सिंह ने सह आरोपी दीपक कुमार के साथ मिलकर 19 फरवरी 2020 की रात पटना जिले के नौबतपुर थाना क्षेत्र में रूपेश कुमार की उसके घर पर हत्या कर दी. घटना के समय रूपेश की मां भी घर में मौजूद थीं. पप्पू सिंह फरार था और उसे 30 सितंबर 2020 को गिरफ्तार किया गया था. वकील ने कहा कि आरोपी उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दिए जाने से पहले नौ महीने तक न्यायिक हिरासत में था.