ऐसा आदेश कैसे... उतराखंड चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट से झटका, 2 लाख का जुर्माना भी लगाया

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड राज्य चुनाव आयोग द्वारा हाई कोर्ट के उस आदेश को शुक्रवार को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी, जिसमें आयोग ने कई मतदाता सूचियों में नाम वाले उम्मीदवारों को पंचायत चुनाव लड़ने की अनुमति देने वाले उसके स्पष्टीकरण सर्कुलर पर रोक लगा दी थी.

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दो या ज्यादा मतदाता सूचियों में नाम वाले उम्मीदवारों को पंचायत चुनाव लड़ने की अनुमति देने का मामला
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  • सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड राज्य चुनाव आयोग की याचिका खारिज कर दी, जिसमें पंचायत चुनाव के नियमों पर विवाद था.
  • कोर्ट ने उत्तराखंड चुनाव आयोग को दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया और वैधानिक प्रावधानों के उल्लंघन पर सवाल उठाए.
  • हाई कोर्ट ने EC के सर्कुलर को अवैध मानते हुए कई मतदाता सूचियों में नाम वाले उम्मीदवारों को चुनाव से रोका था.
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नई दिल्‍ली:

उतराखंड चुनाव आयोग को दो या ज्यादा मतदाता सूचियों में नाम वाले उम्मीदवारों को पंचायत चुनाव लड़ने की अनुमति देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाई कोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार करते हुए उत्तराखंड राज्य चुनाव आयोग की याचिका खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए चुनाव आयोग से पूछा- आप वैधानिक प्रावधान के विपरीत आदेश कैसे दे सकते हैं? 

राज्य निर्वाचन आयोग पर 2 लाख रुपये का जुर्माना

उत्तराखंड राज्य चुनाव आयोग द्वारा हाई कोर्ट के उस आदेश को शुक्रवार को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी, जिसमें आयोग ने कई मतदाता सूचियों में नाम वाले उम्मीदवारों को पंचायत चुनाव लड़ने की अनुमति देने वाले उसके स्पष्टीकरण सर्कुलर पर रोक लगा दी थी. जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने यह आदेश पारित किया और राज्य निर्वाचन आयोग पर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया. जस्टिस नाथ ने राज्य चुनाव आयोग के वकील से पूछा कि 
आप वैधानिक प्रावधान के विपरीत निर्णय कैसे दे सकते हैं? दरअसल, हाई कोर्ट ने एक याचिका में यह आदेश पारित किया था, जिसमें कई ऐसे उदाहरणों पर प्रकाश डाला गया था, जहां कई मतदाता सूचियों में नाम वाले व्यक्तियों को चुनाव लड़ने की अनुमति दी जा रही थी. 

राज्य चुनाव आयोग द्वारा जारी स्पष्टीकरण में कहा गया था कि किसी उम्मीदवार का नामांकन पत्र केवल इस आधार पर खारिज नहीं किया जाएगा कि उसका नाम एक से अधिक ग्राम पंचायत/प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों/नगरपालिका की मतदाता सूची में शामिल है. हाई कोर्ट का प्रथम दृष्टया यह मत था कि राज्य निर्वाचन आयोग का स्पष्टीकरण उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम, 2016 का उल्लंघन है. 

यह एक वैधानिक प्रतिबंध

अदालत ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग का स्पष्टीकरण प्रथम दृष्टया अधिनियम की धारा 9(6) और (7) के विरुद्ध प्रतीत होता है. जब विधान स्पष्ट रूप से एक से अधिक प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों या एक से अधिक मतदाता सूची में किसी मतदाता के पंजीकरण पर रोक लगाता है और यह एक वैधानिक प्रतिबंध है. तो राज्य चुनाव आयोग द्वारा अब दिया गया स्पष्टीकरण धारा 9 की उप-धारा (6) और उप-धारा (7) के तहत प्रतिबंध के विरुद्ध प्रतीत होता है. स्पष्टीकरण पर इस निर्देश के साथ रोक लगा दी गई कि इस पर कार्रवाई नहीं की जाएगी. इससे व्यथित होकर, राज्य चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था.

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