वक्फ कानून की बात जबसे हुई है और इसे पूरे देश में जबसे लागू किया गया है तबसे राजनीतिक गलियारों में इसे लेकर हलचल काफी तेज है. अब सवाल ये उठता है कि क्या कोई कानून बनने के बाद कोई राज्य इसे लागू करने से रोक सकता है? भारत के संविधान में कानून बनाने की शक्ति केंद्र और राज्यों के बीच बांटी गई है. इसे अनुच्छेद-246 में तीन सूचियों के माध्यम से समझाया गया है. ये सूचियां हैं: संघ सूची, राज्य सूची और संवैधानिक सूची.
1. संघ सूची: इसमें वो विषय शामिल हैं जिन पर सिर्फ केंद्र सरकार कानून बना सकती है. जैसे कि रक्षा, विदेश नीति, और मुद्रा नीति. अर्थात, ये ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जिन पर देश का केंद्रीय नेतृत्व ही निर्णय लेगा.
2. राज्य सूची: इसमें वो विषय शामिल हैं जिन पर केवल राज्य सरकारें कानून बना सकती हैं. जैसे कि पुलिस, परिवहन, और कृषि. यानी, ये ऐसे मुद्दे हैं जो प्रत्येक राज्य की जरूरतों के हिसाब से कानून बनाने के लिए राज्य सरकार को दिए गए हैं.
3. संवैधानिक सूची: इस सूची में वो विषय होते हैं जिन पर केंद्र और राज्य दोनों ही सरकारें मिलकर कानून बना सकती हैं. जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य, और व्यापार.
इस तरह, संविधान ने कानून बनाने की प्रक्रिया को स्पष्ट रूप से निर्धारित किया है ताकि केंद्र और राज्य के बीच जिम्मेदारियां सही तरीके से बांटी जा सकें.लेकिन कुछ मुद्दे ऐसे हैं जिन पर केंद्र और राज्य दोनों को ही कानून बनाने का हक है. जैसे- आपराधिक कानून, विवाह, शिक्षा, और संपत्ति. इसे समवर्ती सूची कहते हैं.
कानून पर किसकी चलेगी, क्या कहता है संविधान?
संविधान का अनुच्छेद 254 कहता है कि अगर केंद्र सरकार कोई कानून बनाती है और वह राज्य के कानून से अलग है, तो केंद्र का कानून ही मान्य होगा. इसका मतलब है कि राज्य सरकार उस कानून को लागू नहीं कर सकती.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि वे केंद्र सरकार के वक्फ संशोधन कानून को अपने राज्य में लागू नहीं होने देंगी. उन्होंने यह भी कहा कि लोग उन पर भरोसा करें कि यह कानून बंगाल में नहीं आएगा.
बिहार के नेता तेजस्वी यादव ने भी कहा है कि अगर उनकी पार्टी आरजेडी की सरकार बनी, तो वे इस कानून को लागू नहीं होने देंगेट उन्होंने इसे "कूड़ेदान में फेंकने" की बात की, यानी इसे बिल्कुल न मानने की बात की.
हालांकि, यह ध्यान देने वाली बात है कि राज्य सरकारें केंद्रीय कानूनों को रोकने में कितनी सक्षम हैं. अनुच्छेद 254 के अनुसार, अगर केंद्र का कानून लागू है, तो राज्य सरकार उसके खिलाफ नहीं जा सकती. लेकिन राजनीतिक कारणों से, राज्य सरकारें कानूनों को लागू करने में बाधा डालने की कोशिश कर सकती हैं, जो कि एक संवैधानिक मुद्दा बन सकता है.