अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने रहकर जेल से सरकार चला सकते हैं? Experts की यह है राय

संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत केवल राष्ट्रपति और राज्यपाल को गिरफ्तारी एवं अदालत के समक्ष कार्यवाही से छूट दी गई है. प्रधानमंत्री और किसी राज्य के मुख्यमंत्री को ऐसी कोई छूट नहीं दी जाती है.

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वरिष्ठ वकीलों ने अरविंद केजरीवाल के जेल से सरकार चलाने के फैसले को मुश्किल बताया मगर कानूनी रूप से इसमें कोई समस्या नहीं है.
नई दिल्ली:

विधि विशेषज्ञों का मानना है कि आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार किये जाने के बावजूद अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री पद पर बने रह सकते हैं, क्योंकि कानून के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो गिरफ्तार व्यक्ति को पद पर बने रहने से प्रतिबंधित करता हो. किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण देने से दिल्ली उच्च न्यायालय के इनकार के कुछ घंटों बाद ईडी ने केजरीवाल को बृहस्पतिवार को गिरफ्तार कर लिया.

वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि एक बार गिरफ्तार होने के बाद किसी व्यक्ति के मुख्यमंत्री बने रहने पर कानून में कोई रोक नहीं है. वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि भले ही कानूनी तौर पर ऐसी कोई रोक नहीं है, लेकिन प्रशासनिक तौर पर यह लगभग असंभव होगा. केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया है. आम आदमी पार्टी (आप) ने कहा कि केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने रहेंगे और अगर जरूरत पड़ी तो वह जेल से भी सरकार चलाएंगे.

यह पूछे जाने पर कि क्या केजरीवाल गिरफ्तारी के बाद भी मुख्यमंत्री बने रह सकते हैं, शंकरनारायणन ने कहा, ‘‘एक बार गिरफ्तार होने के बाद किसी व्यक्ति के मुख्यमंत्री बने रहने पर कानून में कोई रोक नहीं है.'' उन्होंने कहा, ‘‘जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार, दोषसिद्धि के बाद ही किसी विधायक को अयोग्य माना जा सकता है, तदनुसार वह मंत्री बनने का हकदार नहीं होगा. हालांकि यह अभूतपूर्व स्थिति है, लेकिन उनके लिए जेल से काम करना तकनीकी रूप से संभव है.''

वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा, ‘‘कानूनी तौर पर कोई रोक नहीं है, लेकिन प्रशासनिक तौर पर यह लगभग असंभव होगा.' जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा-आठ, उपबंध-तीन एक विधायक की अयोग्यता से संबंधित है, जिसमें प्रावधान है कि यदि किसी जनप्रतिनिधि को किसी अपराध के लिए दोषी ठहराया जाता है और दो साल या उससे अधिक की सजा दी जाती है तो वह सजा की तारीख से ही अयोग्य हो जाएगा. इसमें कहा गया है कि ऐसे जनप्रतिनिधि अपनी रिहाई के बाद छह साल की अवधि के लिए अयोग्य करार दिये जाएंगे.

संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत केवल राष्ट्रपति और राज्यपाल को गिरफ्तारी एवं अदालत के समक्ष कार्यवाही से छूट दी गई है. प्रधानमंत्री और किसी राज्य के मुख्यमंत्री को ऐसी कोई छूट नहीं दी जाती है.
 

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