कलकत्ता हाई कोर्ट ने राजभवन 'छेड़छाड़' मामले में ओएसडी के खिलाफ जांच पर रोक लगाई

राज्यपाल सीवी आनंद बोस पर छेड़छाड़ का आरोप लगने के बाद तृणमूल कांग्रेस ने इसे राजनीतिक मुद्दा बना दिया है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद इस पर टिप्पणी कर चुकी हैं.

विज्ञापन
Read Time: 2 mins
कलकत्ता हाई कोर्ट ने छेड़छाड़ मामले में राजभवन को राहत दी है.

कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्यपाल सीवी आनंद बोस पर छेड़छाड़ का आरोप लगाने वाली एक महिला को कथित तौर पर गलत तरीके से रोकने के मामले में राजभवन के एक अधिकारी के खिलाफ पुलिस जांच पर शुक्रवार को रोक लगा दी. जस्टिस अमृता सिन्हा ने 17 जून तक जांच पर अस्थायी रोक लगाने का आदेश दिया. अदालत ने पुलिस को अब तक की गई जांच पर एक रिपोर्ट 10 जून को पेश करने का निर्देश दिया, जब मामले की दोबारा सुनवाई होगी.

ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (ओएसडी) संदीप कुमार सिंह ने अपने खिलाफ कार्यवाही और प्रथम सूचना रिपोर्ट को रद्द करने की प्रार्थना करते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था.

पुलिस के अनुसार, 2 मई को महिला को गलत तरीके से रोककर राजभवन छोड़ने से रोकने के आरोप में ओएसडी सहित तीन अधिकारियों को एफआईआर में नामित किया गया था. महिला ने 2 मई को राज्यपाल पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया था, जिसके बाद कोलकाता पुलिस ने जांच शुरू की थी.

संविधान के अनुच्छेद 361 के अनुसार, किसी राज्यपाल के खिलाफ उसके कार्यकाल के दौरान कोई आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती है.

ओएसडी और राजभवन के दो अन्य कर्मचारियों ने 21 मई को यहां मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत से अग्रिम जमानत प्राप्त की. उनके वकील राजदीप मजूमदार ने न्यायमूर्ति सिन्हा की अदालत के समक्ष दावा किया कि आरोप फर्जी हैं और इसके आधार पर कोई मामला दर्ज नहीं किया जा सकता है. राज्य की ओर से पेश महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने याचिकाकर्ता की प्रार्थना का विरोध करते हुए कहा कि पुलिस को शिकायत की जांच करने से रोकने के लिए आदेश पारित करने की कोई जल्दी नहीं होनी चाहिए. उन्होंने प्रार्थना की कि जांच करने की अनुमति दी जाए.

Featured Video Of The Day
Maharashtra Election Results: 'महाआघाड़ी दिख रही भकास', NDTV पर अठावले की कविता