आयुष्मान भारत योजना में CAG को घपले मिले हैं. दुनिया की सबसे बड़ी सरकारी स्वास्थ्य सेवा योजना पीएम बीमा योजना और पीएम जन औषधि योजना में एक ही मोबाइल नंबर है. इसमें बहुत सारे लाभार्थी आ गए. इसी तरह से फर्जी पंजीकरण और भी कई मुद्दों में हुआ. सरकार के कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (CAG) ने एक आंकड़ा जारी किया है जिसमें उन्होंने यह बताया है कि, सिर्फ यही नहीं आयुष्मान भारत योजना में और भी बहुत सारे घपले हुए हैं.
प्रधानमंत्री हैल्थ इंश्योरेंस स्कीम में बहुत सारी गड़बड़ियां सामने आई हैं. CAG की रिपोर्ट में यह सामने आई हैं. जबकि हैल्थ मिनिस्ट्री संसद में यह कहती है कि वह फ्राड और संदिग्ध ट्रांजेक्शन का ट्रैक करने के लिए आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल कर रही है.
कैग ने आयुष्मान भारत की प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की एक रिपोर्ट जारी की है. यह योजना विश्व की सबसे सरकारी फंडेड स्कीम है. कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि 9.85 लाख लाभार्थी सिर्फ तीन मोबाइल रजिस्टर्ड हैं. करीब साढ़े सात लाख लाभार्थी मोबाइल नंबर 9999999999 पर रजिस्टर्ड हैं. 1.3 लाख मोबाइल नंबर 8888888888 पर रजिस्टर्ड हैं. इसके अलावा 96,046 लोग मोबाइल नंबर 9000000000 पर रजिस्टर्ड हैं. इन गलत नंबरों पर लाखों लोग रजिस्टर्ड हैं. 4761 लाभार्थी सात आधार नंबरों पर रजिस्टर्ड हैं. कैग ने डेटा का विश्लेषण नवंबर 2022 तक किया है.
इस स्कीम में करीब 24 करोड़ लाभार्थी हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि इसमें इनवेलिड बेनिफीशियरी हैं. इस तरह के लोग कम से कम छह राज्यों में लाभ ले रहे हैं. करोड़ों रुपये इन अवैध लाभार्थियों पर खर्च किया जा रहा है. इस तरह के सबसे अधिक अयोग्य लाभार्थियों पर सबसे ज्यादा व्यय तमिलनाडु में 22.4 करोड़ रुपये व्यय हो रहा है.कर्नाटक में 4.65 करोड़, महाराष्ट्र में 1.47 करोड़ इन पर खर्च किए जा रहे हैं.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि योजना में बहुत सारे मृत लोगों के नाम पर उन्हें मरीज दिखाकर इलाज पर व्यय किया गया है. करीब 88,760 मृत लोगों के नाम पर 2.15 लाख दावे किए गए.इन पर पेमेंट भी किया गया.