केंद्रीय ऊर्जा, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह (RK Singh) ने कहा कि भारत 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन ((Non Fossil Fuel))स्रोतों से 65% बिजली उत्पादन के लक्ष्य को हासिल करने की राह पर है. मंत्री ने आगे बताया कि भारत 2030 तक 90 गीगावॉट सौर उपकरण विनिर्माण क्षमता हासिल कर लेगा. वर्तमान में, देश में 20 गीगावॉट ऐसी क्षमता है और 15-20 गीगावॉट सौर विनिर्माण क्षमता निर्माणाधीन है. केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने कहा कि क्लाइमेट एक्शन में भारत वर्ल्ड लीडर है. कुछ एनजीओ इसे लेकर गलत नैरेटिव फैला रहे हैं. आरके सिंह ने NDTV के कॉन्क्लेव #DecodingG20WithNDTV में ये बातें कही.
NDTV कॉन्क्लेव में अपनी बात को रखते हुए आरके सिंह ने कहा कि कई गैर-सरकारी संगठन (NGO) कहेंगे कि भारत एक विशाल देश है. इसलिए इसका कुल कार्बन उत्सर्जन ज्यादा है. ये गलत नैरेटिव है.
उन्होंने कहा, "यह हास्यास्पद है. आप देश के आकार के आधार पर उत्सर्जन पर फैसले नहीं लेते हैं. एक छोटा आईलैंड भी प्रति व्यक्ति भारी मात्रा में ऊर्जा की खपत करेगा, फिर भी इसका कुल उत्सर्जन कम होगा. प्रति व्यक्ति के संबंध में चीजों को देखेंगे, तो समझ पाएंगे. जैसे आप जीडीपी के बारे में बात करते हैं. हमें ये नैरेटिव बदलना होगा."
आरके सिंह ने कहा, "हमने किसी भी देश की तुलना में जीवाश्म ईंधन में सबसे अधिक कटौती की है. हम अपने विकास के लिए ऊर्जा की जरूरत को पूरा करेंगे, यह हमारा अधिकार है. भले ही हमें जीवाश्म ईंधन पर निर्भर रहना पड़े." आरके सिंह ने कहा कि भारत का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन वैश्विक औसत का एक-तिहाई है.
केंद्रीय मंत्री ने दावा किया कि भारत 2030 तक अपनी बिजली क्षमता का 50% गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से हासिल करेगा. इसके साथ ही देश ग्लासगो में किए गए वादे से कहीं आगे निकल जाएगा. हम 65% का टारगेट हासिल कर लेंगे. यह वादा 2021 में स्कॉटलैंड के ग्लासगो में आयोजित COP26 समिट में किया गया था.
NDTV के कॉन्क्लेव में केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने कहा कि भारत एक ऐसे देश के रूप में उभरा है, जिसकी नवीकरणीय ऊर्जा ( Renewable Energy)में परिवर्तन की दर दुनिया में सबसे तेज है.
ऊर्जा मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देश में वर्तमान में स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता 409 गीगा वॉट है, जिसमें गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 173 गीगा वॉट क्षमता शामिल है, जो कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता का लगभग 42 प्रतिशत है. वर्ष 2030 तक नियोजित नवीकरणीय क्षमता से बिजली उत्पादन के लिए, एक मजबूत पारेषण प्रणाली को पहले से स्थापित करने की जरूरत है. इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए एक व्यापक योजना को अंतिम रूप दिया गया है.
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