Bulli Bai ऐप मामला : क्‍या है GitHub, VPN और Proton Email, जिससे आरोपी नीरज बिश्‍नोई ने पुलिस को छकाया

टेक्‍नोलॉजी के बढ़ते इस्‍तेमाल ने जहां आम आदमी की मुश्किलों को आसान किया है, वहीं विकृत मानसिकता वाले इसका उपयोग, समाज के विभिन्‍न वर्गों में नफरत फैलाने और बचने के लिए करते हैं.

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नई दिल्‍ली:

'Bulli Bai' APP के जरिये समाज में नफरत का जहर घोलने के मुख्‍य आरोपी नीरज बिश्‍नोई को आखिरकार पुलिस ने असम के जोरहाट जिले सेअरेस्‍ट कर लिया है. पुराने समय में कहा जाता था-विज्ञान अभिशाप भी है और वरदान भी. यह बात वाकई सही है. टेक्‍नोलॉजी के बढ़ते इस्‍तेमाल ने जहां आम आदमी की मुश्किलों को आसान किया है, वहीं विकृत मानसिकता वाले इसका उपयोग, समाज के विभिन्‍न वर्गों में नफरत फैलाने और बचने के लिए करते हैं. नीरज बिश्‍नोई ने गिटहब, प्रोटॉन ईमेल और वीपीएन का इस्‍तेमाल, पुलिस को छकाने और ट्रैक किए जाने से बचने के लिए किया. 21 साल का नीरज भोपाल के एक संस्‍थान से बी टेक सेकंड ईयर का स्‍टूडेंट है. उससे पूछताछ करने वाले अधिकारियों ने बताया कि उन्‍होंने APP बनाने के लिए इस्‍तेमाल होने वाले डिवाइस को बरामद किया है जिसे माइक्रोसॉफ्ट के शेयरिंग सॉफ्टवेयर GitHub पर 'होस्‍ट' किया गया था. आइए  जानते हैं क्‍या है गिटहब, प्रोटॉन  ईमेल और वीपीएन जिसके जरिये किसी भी मेल या सोशल मीडिया कंटेंट के सोर्स को ट्रैक करना मुश्किल होता है. 

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गिटहब: गिटहब इंक. सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के लिए इंटरनेट होस्टिंग सर्विस प्रोवाइड  करता है. 
प्रोटॉन ईमेल की बात करें तो यह एंड टू एंड इनक्रिप्‍टेड ईमेल सर्विस है. प्रोटान इनक्रिप्‍टेड ईमेल सर्विस वर्ष 2013 में जेनेवा में शुरू हुई थी. 
VPN : वीपीएन यानी वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क के जरिये प्राइवेट नेटवर्क की तरह संदेश भेजे  जा सकते और रिसीव किए जा सकते हैं. वीपीएन से पहचान छुपाने में मदद मिलती है. 

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साइबर एक्‍सपर्ट डॉ. प्रशांत माली कहते हैं कि गिटहब प्‍लेटफार्म होता है वह 'कोलोबेरेटेड सोर्स' को यूज करने के लिए बनाया जाता है इसमें वीपीएन की सुविधा होती है. इसमें आपका आईपी एड्रेस का पता नहीं चलता, पकड़ नहीं आ पाता.  यह प्राथमिक तौर पर पकड़ में नहीं आता है. डीप इनवेस्‍टीगेशन के बाद ही इसे ट्रैक किया जा सकता है. 'पहचान' से बचने के लिए आरोपीने वीपीएन का यूसेज किया था.  प्रोटॉन ईमेल का इस्‍तेमाल किया था. वीपीएन के यूज करने से आपके आईपी एड्रेस का शुरुआत में पता नहीं चल पाता. प्रोटॉन ईमेल का इस्‍तेमाल होता है, इसका कंटेंट स्क्रिप्‍टेड होता है, मेल किस जगह से आई है जिस जगह पर पहुंची इसका सेंडर और एड्रेस का खुलासा नहीं होता है. पकड़ा वहां जाता है जहां पैसे का लेनदेने होता है. जहां आप अपना आईडी यूज कर रहे हैं, इसके जरिये पहुंचा जा सकता है.

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