‘मालगाड़ी के डिब्बों से बुलेट ट्रेन नहीं चलाई जा सकती': दिल्ली की अदालत ने ‘पुराने’ कानूनों पर कहा

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इसलिए, मुझे विश्वास है कि विधायिका इस पहलू पर शीघ्र ही विचार करेगी और प्रासंगिक बदलाव करेगी.’’

विज्ञापन
Read Time: 2 mins

दिल्ली की एक अदालत ने एक दीवानी मुकदमे की सुनवाई करते हुए 1908 की दीवानी प्रक्रिया संहिता के तहत कुछ ‘‘पुराने'' कानूनों का हवाला दिया और कहा कि बुलेट ट्रेन को एक मालगाड़ी के डिब्बों के साथ नहीं चलाया जा सकता. जिला न्यायाधीश संजीव अग्रवाल एक निजी कंपनी के खिलाफ लगभग 24.42 लाख रुपये की वसूली के लिए एक दीवानी मुकदमे से संबंधित अदालत के पहले के फैसले के निष्पादन के लिए एक याचिकाकर्ता द्वारा दायर आवेदन पर सुनवाई कर रहे थे.

न्यायाधीश ने 25 अगस्त के आदेश में कहा, ‘‘भारत सरकार ने वाणिज्यिक विवादों को तेजी से निपटाने के लिए वाणिज्यिक न्यायालय अधिनियम, 2015 को लागू करके एक प्रशंसनीय और शानदार कानून बनाया है, जिसके परिणामस्वरूप वाणिज्यिक विवादों का बहुत तेजी से निपटारा हुआ है.''

इसमें कहा गया है, ‘‘लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि विधायिका की नजर से यह बात छूट गई है कि इस तरह के त्वरित कानून के क्रियान्वयन के लिए वह पुराने आदेश 21 सीपीसी (डिक्री और आदेशों का निष्पादन) और अन्य प्रासंगिक धाराओं पर निर्भर नहीं हो सकती, जिन्हें बहुत पहले वर्ष 1908 में अधिनियमित किया गया था, क्योंकि आप मालगाड़ी के डिब्बों के साथ बुलेट ट्रेन नहीं चला सकते.''

उन्होंने कहा कि बुलेट ट्रेन केवल जापान के ‘‘शिनकानसेन इंजन'' से ही चलाई जा सकती हैं.

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इसलिए, मुझे विश्वास है कि विधायिका इस पहलू पर शीघ्र ही विचार करेगी और प्रासंगिक बदलाव करेगी.''
 

Featured Video Of The Day
Bihar Election 2025: बिहार में 'वोट चोरी' के मुद्दे का जमीन पर कितना असर? | Election Cafe
Topics mentioned in this article