बीआरएस नेता कविता को जमानत देने के आदेश पर टिप्पणी मामले में सीएम रेवंत रेड्डी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने अदालत पर अपमानजनक टिप्पणी के लिए कार्रवाई बंद कर दी है. अदालत ने ये कार्रवाई रेवंत रेड्डी के बिना शर्त माफी मांगने पर बंद की. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने नसीहत देते हुए कहा कि सभी संवैधानिक पदाधिकारियों को एक-दूसरे के प्रति परस्पर सम्मान रखना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने रेवंत रेड्डी से मांगा था जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने 2015 के कैश फॉर वोट मामले को तेलंगाना से बाहर ट्रांसफर करने की याचिका को भी खारिज कर दिया. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने रेवंत रेड्डी से जवाब मांगा था. न्यायपालिका पर टिप्पणियों को लेकर मांगा जवाब दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा था. सुनवाई के दौरान जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वानथन की बेंच ने नाराजगी जताई. जस्टिस गवई ने कहा था कि आप अदालतों को इसमें क्यों घसीट रहे हैं. जब कोई व्यक्ति इतने ऊंचे पद पर होता है, तो कुछ संयम की अपेक्षा की जाती है. आप इस मामले में अदालत और वकीलों को क्यों घसीट रहे हैं. संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को संयम बरतना चाहिए. जस्टिस विश्वनाथन ने कहा था बाढ़ आ रही है. हमने जो कहा है, उसके प्रति संवेदनशील रहें. दो हफ्ते में जवाब दाखिल करें.
के कविता को जमानत देने पर सवाल
दरअसल याचिकाकर्ता BRS नेताओं की ओर से कुछ सामग्री सुप्रीम कोर्ट को दी गई है. जिसमें के कविता को जमानत देने पर सवाल उठाया गया है. उन पर “न्यायपालिका की स्वतंत्रता” पर सवाल उठाने का आरोप लगाया गया है. अर्जी में मुख्यमंत्री पर “न्यायपालिका, विपक्षी नेताओं और पुलिस अधिकारियों पर कई विनाशकारी और असम्मानजनक टिप्पणियां " करने का आरोप लगाया गया है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने बयान जारी किया था.
सीएम रेड्डी ने कोर्ट से बिना शर्त मांगी माफी
सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगते हुए सीएम रेड्डी ने कहा कि भारतीय न्यायपालिका के प्रति मेरा सर्वोच्च सम्मान और पूर्ण विश्वास है. मैं समझता हूं कि 29 अगस्त, 2024 की कुछ प्रेस रिपोर्टों में मेरे नाम से की गई टिप्पणियों से यह आभास हुआ है कि मैं माननीय न्यायालय के न्यायिक विवेक पर सवाल उठा रहा हूं. मैं दोहराता हूं कि मैं न्यायिक प्रक्रिया में दृढ़ विश्वास रखता हूं. मैं प्रेस रिपोर्टों में व्यक्त किए गए बयानों के लिए बिना शर्त खेद व्यक्त करता हूं.
मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के बयानों से भड़का सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट पर इस मामले में सीएम की टिप्पणी पर नाराजगी जताई थी.सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को इस तरह से बयान देना चाहिए. संस्थाओं के प्रति परस्पर सम्मान होना चाहिए. कोई यह कैसे कह सकता है कि हम राजनीतिक कारणों से आदेश पारित करते हैं. अगर आपको सुप्रीम कोर्ट का सम्मान नहीं है तो ट्रायल कहीं और भेज देंगे. यह देश की सबसे बड़ी अदालत है. कल ही हमने महाराष्ट्र के एडिशनल चीफ सेकेट्री को नोटिस जारी किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई सोमवार तक टाल दी थी. रेवंत रेड्डी के खिलाफ ट्रायल को राज्य से बाहर करने पर सुप्रीम कोर्ट विचार कर रहा है. रेवंत रेड्डी द्वारा सुप्रीम कोर्ट पर की गई टिप्पणी पर नाराज हुए जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन नाराज हुए थे. सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने कहा था कि सीएम ने जो बयान दिया है, क्या आपने सुबह जो कहा, उसे उन्होंने पढ़ा है?
हमें किसी की आलोचना से कोई मतलब नहीं
एक मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए ऐसे बयान आशंका पैदा कर सकते हैं. एक संवैधानिक पदाधिकारी इस तरह से बोल रहा है!?हम किसी राजनीतिक दल से सलाह-मशविरा करके अपना आदेश पारित करेंगे? - यह तो केस ट्रांसफर का आधार होना चाहिए. हमें किसी की आलोचना से कोई मतलब नहीं है. हम अपने विवेक और शपथ के अनुसार अपना कर्तव्य निभाते हैं. हम केस ट्रांसफर के मामले को अभी बंद नहीं कर रहे हैं.
हम हमेशा कहते हैं कि हम विधायिका के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं, उनसे भी यही अपेक्षा की जाती है. अगर आपको सुप्रीम कोर्ट का सम्मान नहीं है तो मुकदमा कहीं और ले जाइए. यह देश की सबसे बड़ी अदालत है. हालांकि सुबह के समय सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि तेलंगाना के सीएम के खिलाफ चल रहे ट्रायल को तेलंगाना से बाहर ट्रांसफर करने पर सहमत नहीं है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट केस में स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर नियुक्त करेगा