मध्यप्रदेश में अति वृष्टि और बाढ़ (Madhya Pradesh flood) से निबटने के लिये सेना बुला ली गई है. शिवपुरी, श्योपुर, दतिया, ग्वालियर, भिंड और रीवा जैसे जिलों में लगभग 1171 गांव प्रभावित हुए हैं. कुल 200 गांव पानी से घिरे हुए हैं. एसडीईआरएफ, एनडीईआरएफ की टीमों ने लगभग 1600 लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया है. एयर फोर्स के पांच हेलीकॉप्टरों ने ग्वालियर से मंगलवार सुबह उड़ान भरी थी लेकिन पहले खराब मौसम की वजह से रेस्क्यू के लिए उतर नहीं सके.
सोमवार को शिवपुरी के बीछी गांव में तीन लोग पेड़ पर अटके थे, जिन्हें सुरक्षित निकाला गया है. मड़ीखेड़ा डैम से पहले 12 हजार 500 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा था, अब 10 हजार 500 क्यूसेक कर दिया गया है. डैम से पानी छोड़ने से प्रभावित होने वाले गांव के लोगों को सतर्क कर दिया गया है. डैम से पानी छोड़े जाने की वजह से सिंध नदी ने रौद्र रूप ले लिया. सिंध नदी के तेज पानी में गोराघाट के नजदीक लांच का पुल (Bridge Swept Away In Flood) और रतनगढ़ वाली माता मंदिर का पुल बह गया. सिंध नदी पर बने लांच और रतनगढ़ माता मंदिर पुल की उम्र दस साल से कम थी. 2013 में इसी पुल पर मची भगदड़ में 115 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रभावित गांवों के लोगों से अपील करते हुए कहा है कि 'वह सतर्क रहें. हम आपकी चिंता कर रहे हैं. राहत शिविर और भोजन की व्यवस्था करने के निर्देश दे दिये गये हैं. अफवाहों पर ध्यान न दें. सभी बांध सुरक्षित हैं, आत्म-विश्वास रखें. सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. प्रभावित क्षेत्रों के लोग हौसला बनाए रखें.'
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शिवपुरी और श्योपुर में 22 गांव घिरे हैं. सोमवार को 11 लोगों को एयर फोर्स ने निकाला. एसडीईआरएफ की 70 टीमें और 3 एनडीईआरएफ की टीमें रेस्क्यू ऑपरेशन में लगी हैं. केंद्र से और टीमें भेजने का अनुरोध किया गया है. शिवपुरी और श्योपुर में दो दिन में 800 मिलीमीटर वर्षा हुई. इस अप्रत्याशित बरसात के कारण बाढ़ की स्थिति बनी है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में बनी अति वृष्टि और बाढ़ की स्थिति से अवगत कराया. प्रधानमंत्री ने केन्द्र की ओर से प्रदेश को हर संभव सहयोग करने का आश्वासन दिया है.