बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को आदेश दिया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास कर्ज नहीं चुकाने वालों के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) जारी करने का कानूनी अधिकार नहीं है. अदालत के फैसले के बाद ऐसे बैंकों द्वारा चूककर्ताओं के खिलाफ जारी किए गए सभी एलओसी रद्द हो जाएंगे.
न्यायमूर्ति गौतम पटेल और न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंडपीठ ने केंद्र सरकार के कार्यालय ज्ञापन के उस धारा को भी असंवैधानिक करार दिया, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के चेयरपर्सन को कर्ज न चुकाने वालों के खिलाफ एलओसी जारी करने का अधिकार दिया गया था.
केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए वकील आदित्य ठक्कर ने अदालत से अपने आदेश पर रोक लगाने की मांग की, लेकिन पीठ ने इनकार कर दिया. अदालत ने उक्त धारा की वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया. पीठ ने कहा कि आव्रजन ब्यूरो ऐसे एलओसी (चूककर्ताओं के खिलाफ बैंकों द्वारा जारी) पर कार्रवाई नहीं करेगा.
अदालत ने यह भी कहा कि उसका फैसला किसी भी चूककर्ता के खिलाफ न्यायाधिकरण या आपराधिक अदालत के आदेशों को प्रभावित नहीं करेगा, जिसमें उन्हें विदेश यात्रा करने से रोका गया हो. केंद्र ने 2018 में कार्यालय ज्ञापन में संशोधन कर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को भारत के आर्थिक हित में एलओसी जारी करने का अधिकार दिया था.
इसके तहत अगर किसी व्यक्ति का विदेश जाना देश के आर्थिक हित के लिए हानिकारक हो सकता है, तो उसे ऐसा करने से रोका जा सकता है. याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि ''भारत के आर्थिक हित'' वाक्यांश की तुलना किसी भी बैंक के ''वित्तीय हितों'' से नहीं की जा सकती है.
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