केंद्र नहीं बना सकेगी फैक्ट चेकिंग यूनिट, बॉम्बे HC ने खारिज किए IT ऐक्ट के संशोधन

केंद्र सरकार (Central Government) फेक्‍ट चैकिंग यूनिट नहीं बना सकेगी. बॉम्‍बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने आईटी एक्ट में संशोधन को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द करने का आदेश दिया है. 

Advertisement
Read Time: 3 mins
मुंबई:

फैक्ट चेक यूनिट मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) से केंद्र सरकार (Central government) को बड़ा झटका लगा है. हाई कोर्ट ने आईटी एक्ट में संशोधन को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द करने का आदेश दिया है. हाई कोर्ट ने कहा कि आईटी एक्ट में संशोधन जनता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. हाई कोर्ट में कुणाल कामरा समेत कुछ मीडिया कंपनियों द्वारा आईटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ याचिका दायर की थी. याचिका में आईटी एक्ट में प्रस्तावित संशोधन को असंवैधानिक घोषित करने और केंद्र सरकार को नए नियमों के तहत किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने से रोकने का आदेश देने की मांग की गई थी.

इस मामले में जस्टिस अतुल चंदूरकर ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन नियम 2023, जो केंद्र सरकार को ऑनलाइन फर्जी खबरों की पहचान करने के लिए फैक्‍ट चेक यूनिट बनाने का अधिकार देता है, संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 के खिलाफ है. 

जस्टिस चंदूरकर ने कहा, "मैंने इस मामले पर विस्तार से विचार किया है. लागू नियम भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और 19 (1) (जी) (स्वतंत्रता और पेशे का अधिकार) का उल्लंघन हैं." साथ ही प्रस्तावित आईटी संशोधनों को रद्द कर दिया है. 

Advertisement

... इसलिए तीसरे जज के पास गया था मामला 

याचिका की सुनवाई के बाद जनवरी में बॉम्बे हाई कोर्ट की दो न्यायाधीशों की पीठ ने एक दूसरे से अलग फैसला सुनाया था, जिसके बाद यह मामला तीसरे न्यायाधीश के पास चला गया था. इसलिए मामले की दोबारा सुनवाई के लिए जस्टिस अतुल चंदूरकर की एकल पीठ को भेजा गया था. 

Advertisement

जस्टिस गौतम पटेल और जस्टिस नीला गोखले की खंडपीठ ने जनवरी में खंडित फैसला सुनाया था, जस्टिस पटेल ने नियमों को खारिज कर दिया था, जबकि जस्टिस गोखले ने उन्हें बरकरार रखा था. जस्टिस पटेल ने कहा था कि नियम सेंसरशिप के समान हैं, लेकिन जस्टिस गोखले ने कहा था कि उनका फ्री स्‍पीच पर कोई "डराने वाला प्रभाव" नहीं है, जैसा तर्क दिया गया है. 

Advertisement

फैक्‍ट चैक यूनिट के नोटिफिकेशन पर लगाई थी रोक  

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की आधिकारिक फैक्‍ट चैक यूनिट के ऑपरेशनल स्‍टेटस की घोषणा करने वाले नोटिफिकेशन पर मार्च में रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जब तक बॉम्बे हाई कोर्ट मामले की संवैधानिकता पर फैसला नहीं ले लेता है, तब तक केंद्र आगे नहीं बढ़ सकता है. 

Advertisement

केंद्र सरकार ने 6 अप्रैल, 2023 को सरकार से संबंधित नकली, झूठी या भ्रामक ऑनलाइन सामग्री की तथ्य-जांच के लिए फैक्ट चेक यूनिट बनाने का फैसला लिया था. जिसके तहत एक्स, इंस्टाग्राम और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म को संशोधित नियमों के अनुसार, सरकार के फैक्‍ट चैक यूनिट द्वारा अपने प्लेटफॉर्म पर सामग्री की पहचान करने के बाद या तो सामग्री को हटाना या एक अस्वीकरण जोड़ना था. 

हालांकि बॉम्बे हाई कोर्ट ने माना कि एक्ट में नया संशोधन सीधे तौर पर नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. इसलिए इसे रद्द कर दिया जाना चाहिए. 

ऑनलाइन सेंसरशिप को बढ़ावा देने का था आरोप 

कुणाल कामरा और अन्य याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि संशोधन बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अनुचित प्रतिबंध लगा देंगे. याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि यह प्रावधान सरकार के नेतृत्व वाली ऑनलाइन सेंसरशिप को बढ़ावा देगा. 

Featured Video Of The Day
Haryana Elections 2024: हरियाणा में इतनी सारी गारंटियों और वादों के लिए कहां से आएगा पैसा?
Topics mentioned in this article