- इंद्रप्रस्थ सोसायटी के 800 से अधिक निवासियों ने राजनीतिक नेताओं का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया है.
- मंदिर परिसर में देर रात तक चलने वाले विवाह समारोहों के कारण सोसायटी में अत्यधिक शोर और परेशानी हो रही है.
- प्रशासन और स्थानीय नेताओं से शिकायत के बावजूद शोर की समस्या का कोई स्थायी समाधान नहीं निकला है.
जब नेता जनता के दुख-दर्द को अनसुना कर देते हैं, तो जनता खुद अपना रास्ता चुन लेती है. मुंबई से सटे मीरा रोड पूर्व स्थित इंद्रप्रस्थ सोसायटी के 800 से अधिक निवासियों ने कुछ ऐसा ही किया है. आगामी चुनावों के शोर के बीच, इस सोसायटी के प्रवेश द्वार पर लगे एक बैनर ने पूरे राजनीतिक गलियारे में हड़कंप मचा दिया है. निवासियों ने अपनी समस्याओं का समाधान न होने पर सभी राजनीतिक दलों के नेताओं और उम्मीदवारों की सोसायटी में 'एंट्री' बैन कर दी है.
क्या है निवासियों के गुस्से का कारण?
इंद्रप्रस्थ सोसायटी के ठीक सामने बापा सीताराम मंदिर स्थित है. निवासियों का आरोप है कि इस मंदिर परिसर में होने वाले विवाह समारोहों और निजी कार्यक्रमों ने उनका जीना मुहाल कर दिया है. पिछले कई महीनों से, यहां होने वाली शादियों के कारण कानफोड़ू संगीत (DJ), देर रात तक बजने वाले बैंड-बाजे और पटाखों की गूंज से पूरी सोसायटी परेशान है. निवासियों का दावा है कि उन्होंने इस समस्या को लेकर स्थानीय पुलिस प्रशासन से लेकर इलाके के हर बड़े नेता और लोकप्रतिनिधि के दरवाजे खटखटाए, लेकिन उन्हें केवल आश्वासन मिला, कार्रवाई नहीं. इसी अनदेखी से तंग आकर अब निवासियों ने 'नो हेल्प, नो वोट' और 'नेताओं का प्रवेश बंद' जैसा कड़ा रुख अपनाया है.
रात 1 बजे तक मचता है लाउडस्पीकर से हाहाकार
सोसायटी के सदस्यों का कहना है कि नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. निवासियों ने सवाल उठाया कि, "जब नवरात्रि या दिवाली जैसे त्योहारों पर पुलिस रात 10 बजे के बाद संगीत पर पाबंदी लगा देती है, तो इन विवाह समारोहों के लिए नियम अलग क्यों हैं? यहां रात 12:30 से 1:00 बजे तक डीजे और बैंड चलता रहता है."
इतना ही नहीं, मंदिर में आने वाली 'बारातों' के कारण सोसायटी का मुख्य प्रवेश द्वार घंटों तक जाम रहता है. अगर किसी बुजुर्ग की तबीयत बिगड़ जाए या कोई इमरजेंसी हो, तो एम्बुलेंस या टैक्सी का अंदर आना नामुमकिन हो जाता है. बीमार बुजुर्गों और मरीजों को मुख्य सड़क पर उतरकर पैदल सोसायटी तक आना पड़ता है.
ये भी पढ़ें : दिल के अरमां आंसुओं में बहे! BMC चुनाव में टिकट नहीं मिला तो फूट-फूट कर रोए नेता जी
निवासियों के अनुसार, यह इलाका कभी 'साइलेंट जोन' घोषित किया गया था, लेकिन समय के साथ वे बोर्ड रहस्यमयी तरीके से हटा दिए गए. वर्तमान में बच्चों की परीक्षाएं नजदीक हैं, लेकिन देर रात तक होने वाले शोर के कारण छात्र पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं. पालकों का आरोप है कि पुलिस को बुलाने पर 5 मिनट के लिए संगीत बंद होता है, लेकिन पुलिस के जाते ही शोर फिर से शुरू हो जाता है.
राजनीतिक मोड़ और मंदिर ट्रस्ट का पक्ष
इस मामले में राजनीति तब गरमा गई जब मंदिर ट्रस्ट से जुड़े भाजपा नेता अनिल विराणी का नाम सामने आया. विराणी, मीरा रोड से चुनाव की रेस में भी सक्रिय हैं. मंदिर ट्रस्ट का कहना है कि वे समाजसेवा कर रहे हैं. अनिल विराणी के अनुसार, "हमने अब तक 400 से अधिक शादियां मुफ्त में कराई हैं. यह गरीबों की मदद करने का हमारा तरीका है और मंदिर इससे कोई पैसा नहीं कमाता. हमें निवासियों की तकलीफ के बारे में पता चला है और हम उनसे बातचीत कर इसका समाधान निकालने की कोशिश करेंगे."
हालांकि, निवासियों का कहना है कि 'समाजसेवा' के नाम पर दूसरों की शांति भंग करना स्वीकार्य नहीं है. निवासियों का यह विद्रोह मीरा रोड की राजनीति में एक बड़ा मोड़ ले सकता है, क्योंकि 800 परिवारों का वोट बैंक किसी भी उम्मीदवार का समीकरण बिगाड़ने की ताकत रखता है.
श्रीरंग खरे की रिपोर्ट













