BMC चुनाव में सीट बंटवारे से बीजेपी ने एक तीर से साधे कई निशाने, एकनाथ शिंदे को भी दे दिया बड़ा संदेश

बीएमसी चुनाव के लिए बीजेपी और शिवसेना (शिंदे गुट) में सीटों का बंटवारा हो चुका है. इस बंटवारे के बाद राज्य की राजनीति में कौन बड़ा भाई है वो साफ हो चुका है.

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एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस
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  • बीएमसी चुनाव के लिए बीजेपी और शिवसेना शिंदे गुट में सीट शेयरिंग का ऐलान हो गया है
  • बीजेपी बीएमसी में 137 सीटों पर चुनाव लड़ेगी जबकि शिंदे गुट 90 सीटों पर कैंडिडेट उतारेगा
  • इस सीट बंटवारे से बीजेपी ने एक तीर से कई शिकार किए हैं
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मुंबई:

मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनाव 2026 से पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के बीच हुए अंतिम सीट शेयरिंग समझौते ने महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा संकेत दे दिया है. 227 सीटों वाली बीएमसी में बीजेपी 137 सीटों पर जबकि शिवसेना 90 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. इस आंकड़े ने यह लगभग साफ कर दिया है कि इस बार बीएमसी में “बड़ा भाई” कौन है.

बीजेपी ही है बड़ा भाई

सूत्रों के मुताबिक, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शुरुआत में 100 से 125 सीटों की मजबूत मांग रखी थी. लेकिन कड़े मोलभाव के बावजूद बीजेपी न केवल इस मांग को 90 सीटों तक सीमित करने में सफल रही, बल्कि खुद को गठबंधन का निर्विवाद “बड़ा भाई” स्थापित करने में भी कामयाब रही. 137 सीटों पर बीजेपी का चुनाव लड़ना सीधे तौर पर मेयर पद पर उसके दावे को मजबूत करता है.

शिंदे के लिए क्या मायने?

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, यह स्थिति एकनाथ शिंदे के लिए एक संभावित झटका मानी जा रही है, क्योंकि वे न सिर्फ मुख्यमंत्री पद से उपमुख्यमंत्री की भूमिका स्वीकार कर चुके हैं, बल्कि अब बीएमसी जैसे पारंपरिक शिवसेना के किले में भी छोटे भाई की भूमिका में नजर आ रहे हैं. इतिहास पर नजर डालें तो 2007 और 2012 के बीएमसी चुनावों में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन था, लेकिन तब अविभाजित शिवसेना हमेशा बड़ी हिस्सेदार रही और बीएमसी में उसका दबदबा कायम रहा. मेयर पद भी शिवसेना के पास ही रहा.2017 में भले ही सभी दल अलग-अलग चुनाव मैदान में उतरे, लेकिन बाद में बीजेपी ने शिवसेना को समर्थन देकर मेयर पद तक पहुंचाया. यानी बीएमसी में सत्ता का केंद्र हमेशा शिवसेना ही रही.

आगे क्या होगा?

2022 में शिवसेना के विभाजन के बाद एकनाथ शिंदे ने बगावत कर बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाई. चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को “असली शिवसेना” मान्यता दी और धनुष-बाण चुनाव चिन्ह भी आवंटित किया. इसके बाद से लोकसभा 2024, विधानसभा 2024 और अब बीएमसी 2026 तक बीजेपी ने धीरे-धीरे खुद को गठबंधन का केंद्र बिंदु बना लिया. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह प्रक्रिया अचानक नहीं, बल्कि चरणबद्ध तरीके से हुई है. मुख्यमंत्री पद से उपमुख्यमंत्री की भूमिका और अब बीएमसी में 90 सीटों पर सिमटना, इस बात के संकेत हैं कि शिंदे शिवसेना ने बड़े भाई की भूमिका छोड़ दी है.

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बीजेपी ने एक तीर से किए कई शिकार

137 सीटों के साथ बीजेपी का दावा इतना मजबूत है कि बीएमसी में बीजेपी मेयर की संभावना लगभग तय मानी जा रही है. यह शिवसेना के लिए प्रतीकात्मक और राजनीतिक दोनों ही स्तर पर बड़ा झटका हो सकता है. जिस बीएमसी को कभी अविभाजित शिवसेना ने कभी समझौता नहीं किया, उसी बीएमसी में आज छोटे भाई की भूमिका स्वीकार करना कई सवाल खड़े करता है. हालांकि अंतिम फैसला 16 जनवरी 2026 को आने वाले नतीजे ही करेंगे, लेकिन मौजूदा राजनीतिक संकेत साफ हैं. बीएमसी में सत्ता का संतुलन बदल रहा है. शिवसेना का पारंपरिक गढ़ कमजोर पड़ता दिख रहा है और बीजेपी एक नए दौर की शुरुआत करती नजर आ रही है.

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अगर नतीजे सीट बंटवारे के अनुरूप रहे, तो यह सिर्फ एक चुनावी जीत नहीं होगी, बल्कि मुंबई की राजनीति में सत्ता के स्थायी हस्तांतरण की घोषणा होगी जहां शिवसेना छोटे भाई की भूमिका में और बीजेपी निर्विवाद बड़े भाई के रूप में सामने आएगी.

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