जातिगत जनगणना पर कांग्रेस के "दोहरे मानदंड" का पर्दाफाश करेगी भाजपा

बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस अब आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा को तोड़ने की मांग भी कर रही है जो सुप्रीम कोर्ट ने तय की है. इसके बाद बीजेपी ने कांग्रेस पर आक्रामक होने का फैसला किया है. 

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बीजेपी जातिगत जनगणना के मुद्दे पर हो रही राजनीति पर आक्रामक रुख अपनाने के मूड में हैं....

नई दिल्ली:

देश में जातिगत जनगणना का मुद्दा गर्माता जा रहा है. विपक्ष के इस मुद्दे पर लगातार बयानों के बाद अब बीजेपी भी आक्रामक रुख अपनाने को तैयार में है. बीजेपी सूत्रों के हवाले से खबर है कि पार्टी जातिगत जनगणना पर कांग्रेस के दोहरे मानदंडों का पर्दाफाश करने के लिए प्लान तैयार कर चुकी है. पार्टी का मानना है कि जातिगत जनगणना मुद्दे पर कांग्रेस बीजेपी पर दबाव डालने का प्रयास कर रही है. 

हाल ही में राहुल गांधी ने कर्नाटक में एक जनसभा में जातिगत जनगणना का समर्थन किया है. बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस अब आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा को तोड़ने की मांग भी कर रही है जो सुप्रीम कोर्ट ने तय की है. इसके बाद बीजेपी ने कांग्रेस पर आक्रामक होने का फैसला किया है. 

बीजेपी के मुताबिक 1951 में जब अनौपचारिक रूप से जाति जनगणना की बात उठी थी तब बतौर प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उसका विरोध किया था. बाद में 27 जून 1961 को मुख्यमंत्रियों के लिखे पत्र में पंडित नेहरू ने आरक्षण को लेकर राजनीति पर चिंता जताई थी. इस पत्र में नेहरू ने आगाह किया था कि देश को नंबर वन बनना है तो प्रतिभा को आगे बढ़ाना होगा.  

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बाद में इंदिरा गांधी ने भी जातिगत आधार पर आरक्षण देने की सिफारिश करने वाली मंडल कमीशन की रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं की थी. इंदिरा गांधी सरकार ने मंडल कमीशन की रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया था. 

सूत्र बताते हैं कि अपने प्रवक्ताओं के लिए तैयार एक नोट में बीजेपी ने लिखा है कि इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद राजीव सरकार ने भी मंडल आयोग की रिपोर्ट पर अमल नहीं किया था. केवल यही नहीं, जब वीपी सिंह सरकार ने मंडल आयोग की रिपोर्ट को लागू करने का फैसला किया तो बतौर नेता विपक्ष राजीव गांधी ने इसे देश को बांटने का प्रयास बताया था और कहा था कि यह प्रयास अंग्रेजों के प्रयास से अलग नहीं है.

बताया जा रहा है कि बीजेपी के इस आंतरिक नोट में लिखा गया है कि बतौर गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने 2010 में तत्कालीन कानून मंत्री वीरप्पा मोइली को नेहरू की सोच के बारे में बताया था और जातिगत जनगणना की मांग के गंभीर परिणाम के प्रति चेताया था. 

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नोट में आगे लिखा गया है कि राज्यसभा में जदयू के सदस्य अली अनवर के एक सवाल के जवाब में तत्कालीन मंत्री अजय माकन ने कांग्रेस सरकार का रुख स्पष्ट किया था और जाति जनगणना की मांग को खारिज कर दिया था. इसी तरह तत्कालीन मंत्री आनंद शर्मा, पीके बंसल ने भी यही बात रखी थी. उस वक्त सरकार में शामिल राजद जैसे दलों की ओर से इसे लेकर दबाव था. 

गौरतलब है कि राहुल गांधी ने यह मसला कर्नाटक चुनाव के मद्देनजर उठाया है. मोदी समुदाय के प्रति राहुल की टिप्पणी पर कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी ने राहुल गांधी पर ओबीसी के अपमान का आरोप लगाया था और इसके खिलाफ देश भर में अभियान चलाया था. 

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अब बीजेपी ने कर्नाटक चुनाव को देखते हुए बीजेपी ने अपने नोट में यह भी लिखा है कि 2018 में तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने तीन साल पहले आई जाति जनगणना की रिपोर्ट प्रकाशित नहीं किया था.