- बीएमसी चुनाव के लिए महायुति और महाविकास अघाड़ी के दल कमर कस चुके हैं
- बीजेपी ने BMC चुनाव में 150+ सीटों को जीतने का लक्ष्य रखा है
- उधर, उद्धव ठाकरे के लिए बीएमसी की जंग करो या मरो वाली लड़ाई है
महाराष्ट्र की राजनीति दिसंबर 2025 के अंतिम सप्ताह में निर्णायक मोड़ पर खड़ी है. लंबे इंतजार के बाद 23 दिसंबर से नामांकन प्रक्रिया शुरू होते ही बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) समेत राज्य की 29 नगर निगमों में सत्ता की जंग खुलकर सामने आ गई है. 74 हजार 427 करोड़ के प्रस्तावित बजट वाली BMC देश की सबसे अमीर महानगरपालिका है. अभी BMC चुनाव महायुति और विपक्ष दोनों के लिए राजनीतिक प्रतिष्ठा का सबसे बड़ा मैदान बन चुकी है.
पढ़िए, BMC के रण में एक हुए ठाकरे ब्रदर्स! उद्धव-राज ने मिलाया हाथ, संजय राउत ने शेयर की पहली तस्वीर
ग्रामीण जीत से शहरी आत्मविश्वास
21 दिसंबर को घोषित नगर परिषद और नगर पंचायत चुनावों के नतीजों ने महायुति को जबरदस्त जीत मिली है. 288 में से 207 नगर अध्यक्ष पद जीतकर महायुति ने विपक्षी महाविकास आघाड़ी को हाशिये पर धकेल दिया. इनमें भाजपा 117 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. इस जीत ने शहरी सीट बंटवारे में बीजेपी की मोल-भाव की ताकत को कई गुना बढ़ा दिया है.
यह भी पढ़ें, अरुणाचल से लेकर गोवा तक, इन राज्यों से भी ज्यादा है BMC का सालाना बजट!
BMC का मिशन 227 में 150+ का लक्ष्य
मुंबई में महायुति की असली परीक्षा BMC है. 227 सदस्यीय सदन में 150 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया गया है. बीजेपी और एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना के बीच 150 सीटों पर सहमति बन चुकी है, जबकि 77 सीटों पर अभी मंथन जारी है.
शिंदे गुट की बड़ी मांग
शिंदे गुट खुद को ‘असली शिवसेना' बताते हुए 125 सीटों की मांग कर रहा है वही बीजेपी 2024 विधानसभा चुनावों की जीत और शहरी पकड़ के आधार पर 140–150 सीटों पर लड़ने के मूड में है. सीटों का फैसला हर वार्ड और उसमें जीत के मौके पर होगा. इसके अलावा नए परिसीमन के आधार पर भी सीटों का फैसला होगा. अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे लेंगे.
यह भी पढ़ें, 90 या 125? BMC चुनाव को लेकर बीजेपी से बढ़ी तनातनी, शिवसेना शिंदे के नेता ने दिया अल्टीमेटम
मुंबई में NCP क्यों बाहर?
महायुति की रणनीति का सबसे बड़ा संकेत है मुंबई में अजित पवार की NCP को किनारे करना. बीजेपी और शिंदे शिवसेना, NCP नेता नवाब मलिक की मौजूदगी को लेकर किसी भी बातचीत को तैयार नहीं हैं. मलिक पर गंभीर आरोपों के चलते दोनों दल इसे महायुति की “राष्ट्रीयतावादी छवि” के खिलाफ मानते हैं. अब NCP के सामने दो ही रास्ते हैं या तो मुंबई में अकेले चुनाव लड़े या फिर पुणे, पिंपरी-चिंचवाड़ जैसे गढ़ों पर फोकस करे.
पुणे, ठाणे और नासिक: अलग-अलग रणनीति
- पुणे-पिंपरी: यहां NCP मजबूत है, इसलिए “फ्रेंडली फाइट” का फॉर्मूला
- ठाणे: शिंदे का गढ़, लेकिन हालिया स्थानीय चुनावों में बीजेपी की सेंध से सीट बंटवारा संवेदनशील
- नासिक: स्थिति अस्पष्ट, महायुति के भीतर मुकाबले की संभावना
ठाकरे बनाम महायुति: मराठी वोट की नई जंग
इसी बीच उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के गठबंधन ने मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है. मराठी वोट बैंक को फिर से एकजुट करने की यह कोशिश महायुति के लिए सबसे बड़ी शहरी चुनौती मानी जा रही है. इसी खतरे को देखते हुए महायुति ने उम्मीदवारों की सूची आखिरी वक्त तक रोकने की रणनीति अपनाई है, ताकि असंतुष्ट नेता विपक्ष में न जाएं.
15 जनवरी को अग्निपरीक्षा
15 जनवरी 2026 को होने वाले BMC चुनाव को महाराष्ट्र की राजनीति का ‘फाइनल एसिड टेस्ट' माना जा रहा है. चार साल से अधिक समय बाद चुनी हुई सरकार लौटेगी और यह तय होगा कि मुंबई की सत्ता पर भगवा झंडा लहराएगा या ठाकरे ब्रांड फिर वापसी करेगा. मुंबई की सियासत अब सिर्फ निगम चुनाव नहीं, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीतिक दिशा तय करने वाली लड़ाई बन चुकी है.













