मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी और आरएसएस के नेताओं के बीच करीब चार घंटे तक बैठक चली. इस दौरान साल 2018 में बीजेपी से छिटके वोट को वापस लाने की चुनौती पर चर्चा की गई. आरएसएस नेताओं ने जमीनी फीडबैक से पार्टी के आला नेताओं को अवगत कराया. आदिवासी और अनुसूचित जाति वर्ग की नाराजगी को दूर करने पर ध्यान देने की नसीहत दी. बैठक के दौरान कहा गया कि बीजेपी को कमजोर सीटों पर काम करना होगा और सत्ता विरोधी लहर का मुकाबला करने के लिए खुद को तैयार करना होगा. राज्य में बीजेपी के वोट दस प्रतिशत बढ़ाने पर भी चर्चा की गई.
साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में राज्य की अनुसूचित जाति- जनजाति के लिए सुरक्षित 82 में से बीजेपी को केवल 33 सीटें मिली थीं. एससी-एसटी राज्य की आबादी के 37 प्रतिशत हैं, ऐसे में बीजेपी अब इनपर अपनी पैठ बढ़ाएगी. बैठक में बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा, संगठन महासचिव बी एल संतोष, राज्य के प्रभारी मुरलीधर राव, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, नरेंद्र सिंह तोमर, नरोत्तम मिश्रा, प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा, संगठन महामंत्री शिवानंद शर्मा आदि मौजूद थे.
आरएसएस की ओर से वरिष्ठ नेताओं ने भी लिया हिस्सा था. वहीं इस बैठक के बाद छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ नेताओं के साथ भी मीटिंग की गई है. राजस्थान के नेताओं के साथ पहले ही ऐसी एक बैठक की जा चुकी है. दरअसल साल 2023 में इन तीनों राज्यों में विधानसभा होने वाले हैं. जिसके चलते बीजेपी राज्यों के नेताओं के साथ बैठक कर रणनीति तैयार करने में लगी है.
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