नई दिल्ली: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में उनके जीवन और विरासत पर एक नयी किताब मई में आएगी. यह घोषणा पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया ने की है. संतोष सिंह और आदित्य अनमोल द्वारा लिखी गई, 'द जननायक कर्पूरी ठाकुर: वॉइस ऑफ द वॉइसलेस' उनकी राजनीति पर केंद्रित है जिसने 'कोटा के भीतर कोटा जैसी अभूतपूर्व अवधारणाएं पेश कीं.
ठाकुर ने 1978 में आरक्षण को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी), आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) और महिलाओं के बीच विभाजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी. यह एक ऐसा मॉडल था जिसने मंडल आयोग की सिफारिशों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया.
लेखक सिंह ने एक बयान में कहा, ‘‘मैं पेंगुइन द्वारा समाजवादी महानायक और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर पर अपनी पुस्तक को लेकर बहुत उत्साहित हूं. ठाकुर को भारत रत्न मिलने की घोषणा के साथ मेरी खुशी दोगुनी हो गई है. ठाकुर की स्थायी विरासत सिर्फ ओबीसी आरक्षण को आगे बढ़ाना नहीं, बल्कि उनकी समावेशी और एकजुट राजनीति है.''
इस सप्ताह की शुरुआत में, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने घोषणा की कि दिवंगत समाजवादी नेता को भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा. लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार जैसे वरिष्ठ राजनीतिक नेताओं की अंतर्दृष्टि के साथ, पुस्तक ठाकुर की समाजवादी विचारधारा पर एक सूक्ष्म परिप्रेक्ष्य प्रदान करती है.
यह पुस्तक ठाकुर के सिद्धांतों पर प्रतिबिंब के साथ, 'लोकतांत्रिक समाजवाद की अवधारणा पर एक सामयिक बहस' में संलग्न है, जिसमें जवाहरलाल नेहरू, राम मनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण और बी आर आंबेडकर जैसे राजनीतिक दिग्गजों के विचारों का मिश्रण है.
एसोसिएट प्रकाशक, (विंटेज एंड हेड), बैकलिस्ट, पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया ने कहा, ‘‘कर्पूरी ठाकुर ने अपने जीवन, दर्शन और कार्य के माध्यम से भारत की राजनीति और समाज पर एक गहरी छाप छोड़ी है. उन्होंने बिहार और भारत में एक समतावादी समाज की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. यह पुस्तक, ‘द जननायक', कर्पूरी ठाकुर के जीवन और उनके समय पर प्रकाश डालने के लिए तैयार है. हमें पूरी उम्मीद है कि पुस्तक पाठकों के एक व्यापक वर्ग को रुचिकर लगेगी.''