बिहार: जाति आधारित गणना पर HC के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती

पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस पार्थसारथी ने कहा था कि जातीय जनगणना विधान सम्मत है.

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
पटना हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती (प्रतीकात्म चित्र)
पटना:

बिहार सरकार के जाति आधारित गणना और आर्थिक सर्वेक्षण को लेकर पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है.दरअसल, इस याचिका में पटना हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई है जिसमें हाईकोर्ट ने बिहार सरकार द्वारा जाति आधारित गणना और आर्थिक सर्वेक्षण को कराने को सही बताया था और कहा कि इसे आगे भी जारी रखा जा सकता है. 

बता दें कि पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस पार्थसारथी ने कहा था कि जातीय जनगणना विधान सम्मत है. साथ ही पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस पार्थसारथी की पीठ ने जातीय जनगणना को गैर कानूनी और संविधान की भावना के खिलाफ घोषित करने वाली जनहित याचिका को भी खारिज कर दिया था. 

पटना हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद राज्य सरकार ने उम्मीद जताई थी कि इस सर्वेक्षण को जल्द ही पूरा कर इसकी रिपोर्ट जारी कर दी जाएगी. जातीय जनगणना पर पटना हाईकोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुनवाई पूरी करते हुए सात जुलाई को फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था. अब 25 दिन बाद इसका फैसला आया. 

पटना हाईकोर्ट में सुनवाई के अंतिम दिन भी राज्य सरकार की ओर से AAG  पीके शाही ने कोर्ट को बताया कि यह सर्वेक्षण है. इसका मकसद आम नागरिकों के बारे में सामाजिक अध्ययन के लिए आंकड़े जुटाना है . इसका उपयोग आम लोगों के कल्याण और हितों के लिए किया जाएगा . शाही ने कोर्ट को बताया कि जाति संबंधी सूचना शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश या नौकरियों  के लिए आवेदन या नियुक्ति के समय भी दी जाती है.

उन्होंने दलील दी कि जातियां समाज का हिस्सा हैं. हर धर्म में अलग-अलग जातियां होती हैं. इस सर्वेक्षण के दौरान किसी भी तरह की कोई जानकारी अनिवार्य रूप से देने के लिए किसी को भी बाध्य नहीं किया जा रहा है. ये स्वैच्छिक सर्वेक्षण वाली जनगणना है जिसका लगभग 80 फीसदी काम पूरा हो गया है. 

Featured Video Of The Day
Rule Of Law With Sana Raees Khan: बिना तलाक दूसरी शादी की तो कितनी सजा? | Tej Pratap Yadav
Topics mentioned in this article