- बिहार विधानसभा चुनाव के लिए एनडीए गठबंधन में सीट बंटवारे का फॉर्मूला लगभग तय माना जा रहा है
- भाजपा और जेडीयू मिलकर 203 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी जिसमें जेडीयू को एक सीट अधिक मिलने की संभावना है
- सहयोगी दलों को कुल 40 सीटें दी जाएंगी जिनमें लोजपा को 24, हम पार्टी को 10 और आरएलएसपी को 6 सीटें मिलेंगी
बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच एनडीए गठबंधन में सीट बंटवारे का फार्मूला लगभग तय माना जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक, 243 सीटों में से 203 सीटें भाजपा और जेडीयू आपस में बांटेंगी, जबकि बाकी 40 सीटें सहयोगी दलों के बीच जाएंगी. दिलचस्प बात यह है कि इस बार भी जेडीयू को भाजपा से एक सीट ज़्यादा मिलने की संभावना है. यानी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू 102 सीटों, जबकि भाजपा 101 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. वहीं, चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) को 24 सीटें, जीतन राम मांझी की हम पार्टी को 10 सीटें, और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी को 6 सीटें मिल सकती हैं. यह फॉर्मूला फिलहाल एनडीए के भीतर अंतिम चरण में है, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती यह है कि क्या चिराग पासवान इस प्रस्ताव से संतुष्ट होंगे या नई सियासी चाल चलेंगे.
बीजेपी और जदयू लगभग बराबर सीटों पर लड़ेगी चुनाव
सूत्रों के अनुसार, भाजपा और जेडीयू के बीच बराबरी का फॉर्मूला लगभग तय हो गया है, जिसमें जेडीयू को 102 और भाजपा को 101 सीटें मिलेंगी. इस तरह दोनों मिलकर 243 में से 203 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे.
सहयोगियों को मिलेगी 40 सीटें
शेष 40 सीटों में सहयोगी दलों को हिस्सेदारी दी जा रही है. लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 24 सीटें, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) को 10 सीटें और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) को 6 सीटें देने का प्रस्ताव तैयार किया गया है. सूत्रों के मुताबिक, मांझी और कुशवाहा की सीटें भाजपा अपने कोटे से देने को तैयार है, जबकि चिराग पासवान को 24 सीटें भी भाजपा की तरफ़ से ही मिलेंगी.
क्या मान जाएंगे चिराग पासवान?
हालांकि असली पेच चिराग पासवान पर अटका है. बीते दिनों उन्होंने 25 से 30 सीटों की मांग रखी थी और कई खास विधानसभा क्षेत्रों को लेकर सख्त रुख अपनाया था. एनडीए का मानना है कि यह फॉर्मूला सभी दलों को संतुलित प्रतिनिधित्व देता है, लेकिन चिराग की स्वीकृति अभी बाकी है. राजनीतिक हलकों में यह चर्चा तेज है कि अगर चिराग इस फॉर्मूले को मान लेते हैं तो एनडीए के भीतर का विवाद शांत हो जाएगा, लेकिन अगर उन्होंने असहमति जताई तो यह सीट शेयरिंग “नई तकरार” को जन्म दे सकती है.
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