बिहार के औरंगाबाद जिले में गर्मी का कहर देखने को मिल रहा है. जानकारी के अनुसार हीटवेव से सदर अस्पताल में 15 लोगों की मौत हो गयी है. राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने कहा है कि मौत के कारणों का तत्काल पता नहीं लगाया जा सका है. क्योंकि अधिकतर शोक संतप्त परिवार के सदस्यों ने पोस्टमार्टम कराने से इनकार कर दिया और अन्य मृतकों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट अभी आनी बाकी है.
सभी स्कूलों को 8 जून तक बंद करने का आदेश
राज्य में भीषण गर्मी के बीच बिहार सरकार ने बुधवार को सभी निजी और सरकारी स्कूलों, कोचिंग संस्थानों और आंगनवाड़ी केंद्रों को आठ जून तक बंद करने का आदेश दिया है. हालांकि चिलचिलाती धूप के कारण शेखपुरा, बेगुसराय, मुजफ्फरपुर और पूर्वी चंपारण समेत कई क्षेत्रों से सरकारी स्कूल के शिक्षकों के बेहोश होने की घटनाएं सामने आई हैं. सरकारी स्कूल विद्यार्थियों के लिए बंद हैं, शिक्षकों के लिए नहीं.
मौसम विभाग ने कहा कि आने वाले दिनों में बिहार के कई हिस्सों में भीषण गर्मी जारी रहेगी.राज्य के जिन अन्य स्थानों पर तापमान 44 डिग्री सेल्सियस से अधिक दर्ज किया गया उनमें औरंगाबाद (46.1 डिग्री सेल्सियस), डेहरी (46 डिग्री सेल्सियस), गया (45.2 डिग्री सेल्सियस), अरवल (44.8 डिग्री सेल्सियस) और भोजपुर (44.1 डिग्री सेल्सियस) शामिल हैं. बिहार की राजधानी पटना में आज अधिकतम तापमान और 40.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. आपदा प्रबंध विभाग के अधिकारी ने कहा, ‘‘लोगों को सलाह दी जाती है कि वे लू और निर्जलीकरण से बचें.''
हीट स्ट्रोक, सन स्ट्रोक या लू लगना क्या है?
आमतौर पर हीट स्ट्रोक या सन स्ट्रोक या लू लगना तीनों सेहत की एक ही दिक्कत को कहते हैं. गर्मियों में मॉडरेट लू लगना घबराने जैसी बात नहीं होती है. हालांकि, समय से सही इलाज नहीं मिलने पर इसके कॉम्प्लिकेशंस जानलेवा तक हो सकते हैं. मेडिकल साइंस के मुताबिक, लंबे समय तक धूप में या अधिक टेम्परेचर में रहने या काम करने पर बॉडी खुद के तापमान को कंट्रोल नहीं कर पाता. इसी परिस्थिति को हीट स्ट्रोक या लू लगना कहा जाता है.
हीट स्ट्रोक या लू लगने पर क्या होता है?
लू लगने पर हमारी बॉडी का टेम्परेचर बहुत तेजी से बढ़ता है. शरीर को ठंडा करने के लिए आने वाला पसीना भी बंद हो जाता है. इसके कारण शरीर की गर्मी बाहर नहीं निकल पाती जिसके बाद बॉडी में मिनरल्स खासकर नमक और पानी की अचानक बेहद कमी हो जाती है. डिहाइड्रेट होने से पीड़ित शख्स बेहोश होने लगता है. हीट स्ट्रोक के दौरान बॉडी का तापमान 105 डिग्री फारेनहाइट से भी ज्यादा हो जाता है. सेंट्रल नर्व सिस्टम में दिक्कतें शुरू हो जाती है.
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