मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के भोपाल में एक NGO के अवैध हॉस्टल से एक बच्चे और 26 बच्चियों के गायब होने का आरोप है. हॉस्टल में बच्चियों से ईसाई धर्म की प्रैक्टिस करवाई जाती थी. एक बच्ची से भगवान की मूर्ति विसर्जित करवाने की बात भी सामने आई है, राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने जब इस छात्रावास का निरीक्षण किया तो कई चौंकाने वाली बातों का पता चला है. छात्रावास में ईसाई धर्म की प्रैक्टिस का भी आरोप है, दस्तावेज़ों में 68 बच्चों के रहने की एंट्री है. यहां सिर्फ़ 41 बच्चियां मिली है ,ये बच्चियां एमपी ,गुजरात झारखंड से हैं. राष्ट्रीय बाल आयोग ने संज्ञान लेते हुए मुख्य सचिव वीरा राणा से सात दिन में जांच रिपोर्ट मांगी है, परवलिया पुलिस ने हॉस्टल संचालक और पदाधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है.
स्थानीय लोगों ने क्या बताया?
एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि क़रीब 4-5 साल से यहां पर ये संचालित किया जा रहा है. अंदर हालांकि किसी को आने जाने की इजाज़त नहीं रहती. बच्चियों को कभी कभार बाहर मार्केट लेकर जाया जाता था रात में अक्सर 2-3 गाड़ियां यहां पर आती थी, जो भी गाड़ियां आती थी वो रात में 12 बजे आती थी फिर 2-3 बजे तक लौट जाती थी बच्चियों को लाने ले जाने का काम मैडम ही करती थी.
पूरे मामले पर राजनीति तेज
पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट करके इस मामले में सरकार से संज्ञान लेने और कार्रवाई करने की बात की है , इस बीच मामले पर बीजेपी-कांग्रेस में सियासत भी शुरू हो गई है. पूरे मामले पर कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि जब भाजपा की सरकार रहती है इस तरह के अवैध बाल संरक्षण गृह तेजी से उभरते हैं. धर्मांतरण के साथ-साथ मानव तस्करी का घिनौना खेल होता है. अनैतिक कार्यों की भरमार होती है. भाजप के राज में गौ माता के स्लॉटरहाउस की संख्या भी बढ़ती है, धर्म के नाम पर राजनीति भाजपा करती है और उनके शासनकाल में ही ऐसी गतिविधियां होती हैं, यह शर्मनाक है.
मध्य प्रदेश बाल आयोग की सदस्य ने क्या कहा?
मध्य प्रदेश बाल आयोग की सदस्य निवेदिता शर्मा ने कहा है कि वहां कई SCST बच्चे हैं जिसमें से अधिकांश हिंदू है और तीन मुस्लिम बच्चियां है जिनको ईसाई धर्म की प्रैक्टिस करवाई जा रही थी. अगर इन बच्चों की जानकारी हमको रहती तो हम इनको स्कॉलरशिप दिलवा सकते कही अच्छी जगह भेज सकते. ऐसे कई बच्चे अभी लापता हैं जिनके लिए कहा जा रहा है कि वो अपने माता पिता के पास गए हैं. माता पिता के साथ कहां गए हैं उनकी न कोई तस्वीर है न कोई दस्तावेज़ है. भोपाल के अलावा विदिशा बालाघाट सीहोर झारखंड गुजरात यहां के बच्चे भोपाल बाल गृह में कैसे पहुंचे ये सबसे बड़ा सवाल है.
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