प्रिया वर्मा को कविता संग्रह 'स्वप्न से बाहर पांव' के लिए मिला 2024 का भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में जन्मी प्रिया वर्मा अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर हैं और पिछले 14 वर्ष से अध्यापन कर रही हैं. उनका संग्रह रज़ा फ़ाउण्डेशन से प्रकाशित है.

Advertisement
Read Time: 3 mins
नई दिल्ली:

वर्ष 2024 का भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार प्रिया वर्मा के पहले कविता संग्रह ‘स्वप्न से बाहर पाँव' (बोधि प्रकाशन) को दिया जा रहा है. चयनकर्ता मदन सोनी ने कहा हैः ‘स्वप्न से बाहर पाँव की कविताएँ, अत्यन्त संश्लि‍ष्ट मानवीय अनुभवों को, विशेष रूप से स्त्री-पुरुष सम्बन्धों की सहज किन्तु अक्सर अलक्षि‍त रह जाने वाली पेचीदगी को, उतने ही संश्लिष्ट शि‍ल्प में रचती कविताएँ हैं. उनके स्त्री स्वर बहुत स्पष्ट हैं, लेकिन इन स्वरों को आरोप का रेह्टॉरिक' नहीं बल्कि‍ गहरी करुणा, सम-वेदना और सह-अनुभूति रागान्वि‍त करते हैं. वे सन्दर्भों की तात्कालिकता का अतिक्रमण कर अनुभव को उसकी सार्वकालिकता-सार्वभौमिकता की दीप्ति‍ में पकड़ने का उद्यम करती हैं.

वे बार-बार ‘प्रेम' पर, एकाग्र होती हैं और उसकी बहुत सूक्ष्म तहों और सलवटों को उकेरती हैं और उसे मानवीय अस्ति‍त्व के मूलगामी अभि‍प्राय के रूप में देखने का यत्न करती हैं. वे जूझती और उलझती हैं, जि‍रह करती हैं, लेकिन सिर्फ दुनिया से नहीं बल्कि‍ खुद से भी. ‘स्वप्न से बाहर' रखा गया उनका ‘पाँव' उस थरथराते सीमान्त पर टिका हुआ है, जहाँ कल्पना और यथार्थ, अनुभूति और विचार, अन्तर और बाह्य, ‘मैं' और ‘तुम' जैसे अनेक द्वैत परस्पर अतिव्याप्त और अन्तर्गुम्फि‍त हैं.'

वे आगे लिखते हैं, ‘‘ये कविताएं स्त्री संसार की अलग ही कल्पनाओं को रचती और उस यात्रा में सभी को सहभागी बनाती हैं. प्रिया वर्मा के स्त्री स्वर बहुत ही स्पष्ट हैं. इन स्वरों को गहरी करुणा, संवेदना और सह-अनुभूति का राग कह सकते हैं. वे संदर्भों की तात्कालिकता का अतिक्रमण कर अनुभव को उसकी सार्वकालिकता-सार्वभौमिकता की दीप्ति‍ में पकड़ने का उद्यम करती हैं.''

Advertisement

अपनी संस्तुति में मदन सोनी ने लिखा, ‘‘वे बार-बार ‘प्रेम' पर, एकाग्र होती हैं और उसकी बहुत सूक्ष्म तहों और सलवटों को उकेरती हैं. वे कविताओं के माध्यम से मानवीय अस्ति‍त्व के मूलगामी अभि‍प्राय के रूप में देखने का यत्न करती हैं. वे जूझती और उलझती हैं, जि‍रह करती हैं, लेकिन सिर्फ दुनिया से नहीं बल्कि‍ खुद से भी. ‘स्वप्न से बाहर' रखा गया उनका ‘पांव' उस थरथराते सीमांत पर टिका हुआ है, जहां कल्पना और यथार्थ, अनुभूति और विचार, अंतर और बाह्य, ‘मैं' और ‘तुम' जैसे अनेक द्वैत परस्पर अतिव्याप्त और अन्तर्गुम्फि‍त हैं.'

Advertisement

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में जन्मी प्रिया वर्मा अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर हैं और पिछले 14 वर्ष से अध्यापन कर रही हैं. उनका संग्रह रज़ा फ़ाउण्डेशन से प्रकाशित है.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Odisha News: Vedanta Group की रिफाइनरी के बांध में दरार आने से कई इलाके जलमग्न | NDTV India
Topics mentioned in this article