‘भारत जोड़ो यात्रा’ में शामिल ‘भारत यात्री’ कांग्रेस की अगली यात्रा के लिए तैयार

वैभव वालिया ने कहा कि 204 ‘‘भारत यात्रियों’’ में से 100 प्रतिशत फिर से इस तरह की यात्रा में शामिल होंगे.

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राहुल गांधी की यात्रा सात सितंबर को कन्याकुमारी से शुरू हुई थी
श्रीनगर:

‘भारत जोड़ो यात्रा' के दौरान भले ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी सुर्खियों में रहे हों, लेकिन उनके साथ यात्रा में शामिल ‘‘भारत यात्रियों'' ने खामोशी से अपना काम बखूबी किया है. वे एक-एक किलोमीटर तय करते हुए यहां पहुंचने के अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते गये और उनमें से कई का कहना है कि वे इस तरह की एक और पैदल यात्रा में शामिल होने वाले पहले व्यक्ति होंगे. कन्याकुमारी से कश्मीर तक निकाली जाने वाली कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा' में शुरुआत में 120 ‘‘भारत यात्रियों'' का एक मुख्य समूह शामिल था लेकिन यात्रा जैसे ही कश्मीर में पहुंची तो यह संख्या 204 हो गई, जिससे उर्दू का यह शेर जीवंत हो गया- ‘‘मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंजिल मगर, लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया.''

यात्रा सात सितंबर को कन्याकुमारी से शुरू हुई थी और यह अब तक 12 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों से गुजर चुकी है. इसका समापन 30 जनवरी को यहां कांग्रेस कार्यालय में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के साथ होगा. एक ‘‘भारत यात्री'' और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ( एआईसीसी) में संचार विभाग के सचिव वैभव वालिया ने कहा कि कई लोग जिनका पार्टी से कोई लेना-देना नहीं था, वे भी विभिन्न स्थानों पर मार्च में शामिल हुए और सप्ताह दर सप्ताह अपनी व्यवस्था के साथ चलते रहे और अंत में श्रीनगर तक चलने के उनके दृढ़ संकल्प को देखते हुए उन्हें ‘‘भारत यात्रियों'' के रूप में शामिल किया गया.

उन्होंने कश्मीर के अवंतीपोरा में ‘भारत जोड़ो यात्रा' के दौरान ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘यह हमारे लिए एक जीवन बदलने वाला अनुभव रहा है. जब हमने शुरुआत की थी, तो हम किसी भी राजनीतिक कार्यक्रम में इस तरह के अनुभव की कल्पना नहीं कर सकते थे.'' वालिया ने कहा कि इस यात्रा ने ‘‘हमें यह एहसास कराया कि हम राजनीति में क्यों हैं और इससे हमारा उद्देश्य मजबूत हुआ है.''

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उन्होंने कहा, ‘‘हमने अपने देश के बारे में, अपने लोगों के बारे में, उनकी समस्याओं के बारे में, हमारी एकता जैसी ताकतों के बारे में बहुत कुछ सीखा है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जिस मुख्य चीज को निशाना बना रही है, वह है देश की एकता और इसे निशाना बनाया जाना सबसे खतरनाक चीज है. हमारा संकल्प मजबूत हुआ है और हम इस मकसद के लिए इस लड़ाई को जारी रखेंगे.''

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वालिया ने कहा कि 204 ‘‘भारत यात्रियों'' में से 100 प्रतिशत फिर से इस तरह की यात्रा में शामिल होंगे. उन्होंने कहा, ‘‘राहुल गांधी से हर मुलाकात में हम पूछते रहे हैं, ‘हमें बताओ कि इसके बाद हमें क्या करना है', हम घर पर नहीं बैठना चाहते. यह इस यात्रा की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है.'' कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘पीटीआई-भाषा' के साथ एक साक्षात्कार में कहा था कि वह निश्चित रूप से इस साल गुजरात के पोरबंदर से अरुणाचल प्रदेश के परशुराम कुंड तक एक और यात्रा निकालने पर जोर देंगे, लेकिन इस पर फैसला अंततः पार्टी को करना है.

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उन्होंने कहा था, ‘‘मैं निश्चित रूप से इसके बारे में सोचता रहा हूं. अब पार्टी इस तरह की यात्रा करेगी या नहीं, मैं नहीं कह सकता. हालांकि, जब ‘भारत जोड़ो यात्रा' के बारे में उदयपुर में विचार किया गया था, तो पश्चिम से पूर्व की ओर यात्रा निकाले जाने पर भी सोचा गया था.'' मध्य प्रदेश के रहने वाले राकेश पांडे अपनी पत्नी के साथ कन्याकुमारी से लगातार यात्रा में चल रहे हैं और यात्रा को पूरा करने के उनके दृढ़ संकल्प को देखते हुए बाद में उन्हें 'भारत यात्रियों' के समूह में शामिल किया गया.

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उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘हम कांग्रेस का समर्थन करते हैं लेकिन हम राजनीतिक रूप से सक्रिय नहीं हैं और पार्टी से कोई पद या कुछ भी नहीं चाहते हैं लेकिन हम इसके लिए सब कुछ करेंगे क्योंकि यह देश की एकमात्र सैद्धांतिक पार्टी है.'' पांडे की पत्नी ने कहा कि यात्रा के जरिये देश भर में बिना किसी भेदभाव के यात्रा करके देश को रास्ता दिखाया गया है.पांडे ने कहा, ‘‘हमारे पास एक और यात्रा के लिए क्षमता और ताकत है. अगर कोई और यात्रा निकाली जाती है, तो हम उसमें भी शामिल होने का इरादा रखते हैं.'

केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चांडी के बेटे एवं एक ‘‘भारत यात्री'' चांडी ओमान ने कहा कि इस यात्रा को शुरू करना उनके लिए 'जीवन बदलने' जैसा अनुभव था. उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘यात्रा से पहले मैं चिंतित था कि मैं इस यात्रा को कैसे पूरा करूंगा, लेकिन पहले दिन ही मुझे एहसास हुआ कि मैं इसे पूरा कर लूंगा और मैं यहां हूं.'' पार्टी की इस यात्रा में शामिल मणिपुर की महिला ल्हिंकिम हाओकिप शिंगनेसुई यात्रा को पूरा करने के लिए दृढ़ थीं.

उन्होंने कहा कि यात्रा से प्राप्त अनुभव के कारण उनके जीवन में बहुत कुछ बदल गया है और अब वह पहले से कहीं अधिक धैर्यवान हैं. यात्रा तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर से होकर गुजरी है.

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