नोएडा के निठारी कांड (Nithari case) में सुरेंद्र कोली (Surinder Koli) और मोनिंदर सिंह पंधेर (Moninder Singh Pandher) को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. गाजियाबाद की CBI कोर्ट ने उन्हें पहले फांसी की सजा सुनाई थी. लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने दोनों की फांसी की सजा पर रोक लगा दिया है. फैसला सुनाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीबीआई की तीखी आलोचना भी की. अदालत ने कहा कि निठारी मामले (जिसमें दिल्ली से सटे नोएडा में बच्चों की सीरियर किलिंग शामिल है) से निपटना लोगों के भरोसे को तोड़ने से कम नहीं था.
निठारी केस में कुल 19 मुकदमे दर्ज हुए थे. इनमें से इसमें कोली को 12 और पंधेर को 2 मामलों में राहत मिली है. इसके साथ ही उसे सभी मुकदमों में बरी कर दिया गया है. हालांकि, कोली को सुप्रीम कोर्ट ने एक केस में फांसी की सजा सुनाई है, जो फिलहाल बरकरार रहेगी.
पंधेर और कोली ने गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. ये फैसला जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र और जस्टिस एसएचए रिजवी की बेंच ने सुनाया है. लंबी चली बहस के बाद अपीलों पर फैसला सितंबर में सुरक्षित कर लिया गया था. अदालत ने सोमवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष उचित संदेह से परे अपने मामले को सिद्ध करने में नाकाम रहा.
अदालत ने अपने डिटेल ऑर्डर में कहा, "इस केस की जांच खराब तरीके से हुई है. सबूत इकट्ठा करने के बुनियादी मानदंडों का खुलेआम उल्लंघन किया गया है." अदालत ने कहा कि गिरफ्तारी का तरीका, सबूतों की बरामदगी और कबूलनामे की रिकॉर्डिंग आकस्मिक और सहज थी.
जांचकर्ताओं ने कहा कि कोली ने हत्या, शवों से रेप और इंसानी मांस खाने की बात कबूल कर ली है. हत्याएं नोएडा में पंढेर के घर में हुईं और दिसंबर 2006 में बगल के नाले में शरीर के टुकड़े पाए जाने के बाद लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया. उससे पहले इलाके में कई बच्चों के लापता होने की सूचना मिली थी.
अदालत ने कहा, "जिस तरह से आरोपी की मेडिकल जांच के बिना 60 दिनों की पुलिस रिमांड के बाद कबूलनामा दर्ज किया गया; कानूनी सहायता नहीं दी गई, कबूलनामे में यातना के विशिष्ट आरोप को नजरअंदाज किया गया, सीआरपीसी की धारा 164 की जरूरत का पालन करने में नाकामी कम से कम चौंकाने वाला है."
सुरेंद्र कोली नेक्रोफीलिया की बीमारी से ग्रसित होने की कही गई थी बात
जांच में पता चला कि बच्चों का यौन शोषण किया जाता था और उसके बाद आरोपी उनका मर्डर कर देते थे. बाद में यह भी सामने आया कि सुरेंद्र कोली नेक्रोफीलिया की बीमारी से ग्रसित हो गया था. इस मानसिक व्याधि से पीड़ित लोग लाशों के साथ सेक्स करते हैं. ये भी आरोप लगा था कि मालिक और नौकर बच्चों को मारकर उनका अंग निकाल लेते थे.
CBI कोर्ट ने जुलाई 2017 में सुनाई थी फांसी की सजा
इस मामले की जांच बाद में CBI को सौंपी गई थी. जुलाई 2017 में गाजियाबाद की स्पेशल CBI कोर्ट ने एक 20 साल की महिला की हत्या मामले में पंधेर और कोली को मौत की सजा सुनाई थी. दोनों ने सीबीआई कोर्ट के आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
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