बिहार चुनाव से पहले बीजेपी सांसद ने कवि भिखारी ठाकुर के लिए की भारत रत्न की मांग, गृहमंत्री को लिखा पत्र

मनोज तिवारी ने लिखा, "भिखारी ठाकुर ने भोजपुरी भाषा को एक मजबूत सांस्कृतिक पहचान दी और लोक कला को सामाजिक जागरूकता के एक सशक्त माध्यम में बदल दिया."

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • मनोज तिवारी ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को भिखारी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित करने का पत्र लिखा है
  • भिखारी ठाकुर ने बाल विवाह, जातिगत भेदभाव, और लैंगिक असमानता जैसे सामाजिक मुद्दों को रंगमंच में उजागर किया
  • ठाकुर की प्रमुख कृतियां बिदेसिया, बेटी बेचवा और गबर घिचोर बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में आज भी लोकप्रिय हैं
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।

बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को एक पत्र लिखा है. अपने इस पत्र में उन्होंने भोजपुरी के महान कवि, नाटककार, गायक और समाज सुधारक भिखारी ठाकुर को मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान - भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग की है. 

बिहार में विधानसभा चुनाव होने से ठीक पहले इस मांग के समय ने राजनीतिक ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है. भिखारी ठाकुर को "भोजपुरी का शेक्सपियर" कहा जाता है. वह बिहार में खासकर उत्तरी और मध्य जिलों के भोजपुरी भाषी मतदाताओं के बीच गहरी सांस्कृतिक पहचान रखते हैं.

16 जुलाई को लिखे गए अपने पत्र में मनोज तिवारी ने ठाकुर को एक दूरदर्शी व्यक्ति बताया, जिन्होंने बाल विवाह, जातिगत भेदभाव, लैंगिक असमानता, शराबखोरी और पलायन जैसे ज्वलंत सामाजिक मुद्दों को उजागर करने के लिए रंगमंच, संगीत और साहित्य का इस्तेमाल किया था.

मनोज तिवारी ने लिखा, "भिखारी ठाकुर ने भोजपुरी भाषा को एक मजबूत सांस्कृतिक पहचान दी और लोक कला को सामाजिक जागरूकता के एक सशक्त माध्यम में बदल दिया." उन्होंने ठाकुर की प्रतिष्ठित कृतियों जैसे बिदेसिया, बेटी बेचवा और गबर घिचोर का उल्लेख किया, जो बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के गांवों और कस्बों में आज भी प्रदर्शित की जाती हैं.

बिहार के छपरा जिले में 1887 में जन्मे ठाकुर एक नाई परिवार से थे और उनकी औपचारिक शिक्षा बहुत कम थी. इसके बावजूद, उन्होंने एक घुमंतू नाट्य मंडली बनाई जो ग्रामीण दर्शकों के लिए सामाजिक रूप से प्रेरित नाटक प्रस्तुत करती थी. उनके नाटक सिर्फ मनोरंजन ही नहीं थे; वे गहरे जड़ जमाए सामाजिक मानदंडों की आलोचना भी थे.

मनोज तिवारी का यह पत्र भले ही भिखारी ठाकुर के सांस्कृतिक योगदान पर जोर देता है लेकिन राजनीतिक संदर्भ को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. बीजेपी भोजपुरी भाषी मतदाताओं के बीच अपने संदर्भ को मजबूत करने की कोशिश कर रही है और भिखारी ठाकुर की विरासत का जिक्र इस जनसांख्यिकीय वर्ग के साथ जुड़ा हो सकता है. बता दें कि मनोज तिवारी खुद एक प्रसिद्ध भोजपुरी कलाकार से राजनेता बने हैं और उन्होंने अतीत में सांस्कृतिक संदेश का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल भी किया है.

Advertisement

पत्र में कहा गया है, "भिखारी ठाकुर को भारत रत्न मिलना न सिर्फ भोजपुरी समुदाय के लिए, बल्कि पूरी भारतीय लोक परंपरा के लिए गौरव की बात होगी." साथ ही, यह भी कहा गया है कि इस तरह का सम्मान विविधता में एकता के संदेश को मजबूत करेगा. हालांकि, इस पर अभी तक गृह मंत्रालय या प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. यह स्पष्ट नहीं है कि चुनावों से पहले इस मांग पर विचार किया जाएगा या नहीं.

इस बीच, भोजपुरी सांस्कृतिक संगठनों ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा है कि राष्ट्रीय स्तर पर ठाकुर के योगदान को लंबे समय से नजरअंदाज किया जाता रहा है. भिखारी ठाकुर नाट्य कला परिषद के एक सदस्य ने कहा, "यह लंबे समय से चली आ रही मांग है. अपनी कला के जरिए बेज़ुबानों को आवाज देने के लिए भिखारी ठाकुर सम्मान के हकदार हैं." सरकार तिवारी के अनुरोध पर कार्रवाई करे या न करे, इस पत्र ने भिखारी ठाकुर की विरासत और भोजपुरी सांस्कृतिक गौरव को एक महत्वपूर्ण चुनाव से पहले राजनीतिक चर्चा में वापस ला दिया है. (इशिका वर्मा की रिपोर्ट)

Advertisement
Featured Video Of The Day
India Pakistan Asia Cup Match: विवादों में घिरा भारत-पाक मैच, विपक्ष ने उठाए सवाल, देशभर में बवाल