प्रतिबंधित समूह जमात जम्मू-कश्मीर की राजनीति में करेगा एंट्री! चुनाव चिह्न के लिए EC को लिखा पत्र

शमीम अहमद थोकर ने कहा कि जमीनी काम हो चुका है क्योंकि पार्टी बनाने के लिए उनकी सलाहकार परिषद से मंजूरी मिल चुकी है. हमें अपने क्षेत्र की बेहतरी के लिए राजनीतिक क्षेत्र में आने की जरूरत है.

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प्रतिबंधित समूह जमात जम्मू-कश्मीर की राजनीति में करेगा एंट्री! चुनाव चिह्न के लिए EC को लिखा पत्र
नई दिल्ली:

प्रतिबंधित समूह जमात-ए-इस्लामी रमजान से एक राजनीतिक पार्टी लॉन्च करने के लिए तैयार है, जिसका नाम जम्मू कश्मीर जस्टिस डेवलपमेंट फ्रंट होगा. इस पार्टी के गठन के लिए चुनाव आयोग को चुनाव चिह्न की मान्यता और आवंटन के लिए आवेदन भेजा है.

समूह की जम्मू-कश्मीर इकाई के प्रमुख शमीम अहमद थोकर ने एनडीटीवी को फोन पर बताया कि उन्होंने चुनाव आयोग को आवेदन भेजा है और पार्टी के लिए जम्मू कश्मीर जस्टिस डेवलपमेंट फ्रंट नाम का चयन किया है. साथ ही उन्होंने तराजू का चुनाव चिन्ह आवंटित करने का अनुरोध किया है.

शमीम अहमद थोकर ने कहा कि जमीनी काम हो चुका है क्योंकि पार्टी बनाने के लिए उनकी सलाहकार परिषद से मंजूरी मिल चुकी है. हमें अपने क्षेत्र की बेहतरी के लिए राजनीतिक क्षेत्र में आने की जरूरत है. जमात के सदस्यों ने पिछले साल विधानसभा चुनाव निर्दलीय लड़ा था. इस बार सभी से परामर्श किया गया है और निर्णय लिया गया है.

अटकलें हैं कि जमात के राजनीति में आने से सबसे ज्यादा नुकसान महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी को होगा. शमीम ने कहा कि जमात समर्थक अनुशासित हैं. मैं मानता हूं कि कुछ पार्टियों को इससे फायदा हुआ, लेकिन अब यह बदल जाएगा.

जम्मू-कश्मीर में अमात के 5,000 से अधिक सदस्य हैं. बांग्लादेश ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के बाद पिछले साल अगस्त में जमात पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसमें 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी.

फरवरी 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद केंद्र ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत 2019 में संगठन पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था. फरवरी 2024 में प्रतिबंध को पांच साल के लिए बढ़ा दिया गया. इससे पहले जमात पर दो बार 1975 और 1990 में प्रतिबंध लगाया गया था.

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प्रतिबंध लगाते समय केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि था कि समूह को जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा देने औ आतंकवाद को बढ़ावा देने, भारत विरोधी प्रचार में शामिल पाया गया, जो भारत की संप्रभुता, सुरक्षा और अखंडता के लिए हानिकारक है.

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