एलोपैथी के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन मामला : SC में सुनवाई से पहले रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने मांगी माफी

हलफनामे में दोनों ने कहा है कि मैं विज्ञापनों के मुद्दे के संबंध में अपनी बिना शर्त माफी मांगता हूं. मुझे इस चूक पर गहरा अफसोस है और मैं माननीय अदालत को आश्वस्त करना चाहता हूं कि इसकी पुनरावृत्ति नहीं होगी.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई से पहले एलोपैथी के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन मामले में  बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी है. सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करने के लिए यह माफी उनके द्वारा मांगी गयी है. विज्ञापन पर रोक के आदेश के एक दिन बाद प्रेस कांफ्रेस के लिए भी दोनों ने ही माफी मांगी है. बाबा रामदेव की तरफ से बिना शर्त माफीनामे का हलफनामा दायर किया गया है. 

हलफनामे में क्या कहा गया है? 
रामदेव, बालकृष्ण ने कहा है कि अब कोई प्रेस वार्ता या सार्वजनिक बयान नहीं दिया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अक्षरश: पालन किया जाएगा. भविष्य में इसी प्रकार के विज्ञापन जारी नहीं किए जाएंगे.  कानून की महिमा और न्याय की महिमा को कायम रखने का वचन देते हैं. सुप्रीम कोर्ट बुधवार को इस मामले में सुनवाई करने वाला है. दोनों को बुधवार को अदालत में पेश होना है. 

हलफनामे में दोनों ने कहा है कि मैं विज्ञापनों के मुद्दे के संबंध में अपनी बिना शर्त माफी मांगता हूं. मुझे इस चूक पर गहरा अफसोस है और मैं माननीय अदालत को आश्वस्त करना चाहता हूं कि इसकी पुनरावृत्ति नहीं होगी. मैं इस माननीय न्यायालय के दिनांक 21.11.2023 के आदेश के पैरा 3 में दर्ज बयान के उल्लंघन के लिए बिना शर्त  माफी मांगता हूं.  मैं आगे वचन देता हूं और सुनिश्चित करता हूं कि उक्त बयान का अक्षरशः अनुपालन किया जाएगा और ऐसे किसी भी समान विज्ञापन का उपयोग नहीं किया जाएगा. मैं 22.11.2023 को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए अपनी बिना शर्त माफी प्रस्तुत करता हूं. इस चूक पर खेद व्यक्त करता हूं और आश्वासन देता हूं कि भविष्य में इसे दोबारा नहीं दोहराया जाएगा.  मैं कथन के उपरोक्त उल्लंघन के लिए क्षमा चाहता हूं. मैं कानून की महिमा और न्याय की महिमा को हमेशा बरकरार रखने का वचन देता हूं.

Advertisement

अदालत ने बरती थी सख्ती
2 अप्रैल को अदालत ने दोनों को "उचित" स्पष्टीकरण हलफनामा दायर करने का "अंतिम अवसर" दिया था, जिसमें कहा गया था कि पहले दायर की गई माफी "अधूरी" और "महज दिखावा" थी. 2 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि उत्पादों को सही ठहराने वाले सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मीडिया विभाग ने एक पीसी का आयोजन कैसे किया?सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद भी प्रचार विभाग विज्ञापन कैसे जारी करता रहा? SC ने यह भी कहा था कि अदालत के सभी आदेशों का अक्षरश: पालन किया जाना चाहिए.

Advertisement

ये भी पढ़ें- : 

Featured Video Of The Day
Disabled Childrens के लिए Madhya Pradesh के सरकारी स्कूलों का नया प्रयोग, जानिए क्यों है खास?
Topics mentioned in this article