बिहार की राजनीति में अब एक नया मोड़ देखने को मिल रहा है. एनडीए के साथ नीतीश कुमार के शामिल होने के बाद बिहार में 12 फरवरी को विधानसभा का सत्र होना है, इसके अलावा नीतीश कुमार को विधानसभा सदन में विश्वास मत भी हासिल करना है. ऐसे में महागठबंधन और एनडीए में ठन गई है. दरअसल, राजद के वरिष्ठ नेता और सदन के स्पीकर अवध बिहारी चौधरी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह इस्तीफा नहीं देंगे. साथ ही साथ उन्होंने कहा है कि 12 फरवरी को विधानसभा की अध्यक्षता करेंगे. साथ ही सदन में संचालन भी करेंगे.
बिहार विधानसभा के स्पीकर ने कहा कि सदन नियम से चलता है और हम किसी भी हालत में इस्तीफा नहीं देने वाले हैं. इस बयान के बाद बिहार की राजनीति में फिर गर्माहट आ गई है.
बिहार विधानसभा के स्पीकर अवध बिहारी चौधरी ने संवाददाताओं से कहा, "मैं इस्तीफा नहीं देने जा रहा हूं. मैं 12 फरवरी को विधानसभा में रहूंगा और नियमों के मुताबिक सदन की कार्यवाही चलाऊंगा"
बहरहाल अवध बिहारी चौधरी के इस बयान ने तहलका मचा दिया है. ऐसे में ये देखना होगा कि स्पीकर को हटाने के लिए अब बीजेपी और जेडीयू अपने सहयोगियों के साथ कौन सा नया दांव खेलती है.
हालांकि, भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा, "चौधरी को यह जानने की जरूरत है कि सदन के नेता के रूप में, मुख्यमंत्री के पास यह तय करने की शक्ति है कि सदन के एजेंडे में कौन सा कार्य पहले किया जाना चाहिए. इसलिए, राजद नेता को ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है जिसमें उन्हें सदन से बाहर कर दिया जाएगा. यह उन पर निर्भर है कि उन्हें अपमान का सामना करना है या इस्तीफा देकर अपना गौरव बचाना है.' संयोग से, भाजपा नेता विजय कुमार सिन्हा ने भी इसी तरह 2022 में इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था, जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनडीए छोड़ दिया था और महागठबंधन के साथ नई सरकार बनाई थी.
हालांकि, नई एनडीए सरकार में डिप्टी सीएम बने सिन्हा ने अविश्वास मत से बचते हुए सदन में अपने इस्तीफे की घोषणा की थी. जानकारी के मुताबिक, बीजेपी नेता और पूर्व मंत्री नंद किशोर यादव और अमरेंद्र प्रताप सिंह स्पीकर पद की दौड़ में बताए जा रहे हैं.
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