पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले सरकार ने बृहस्पतिवार को 'चुनावी बांड' (Electoral Bond) की 19वीं किश्त जारी करने को मंजूरी दी, जो एक जनवरी से 10 जनवरी तक बिक्री के लिए खुली रहेगी. राजनीतिक वित्त पोषण में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत दलों को मिलने वाले नकद चंदे के विकल्प के तौर पर चुनावी बांड पेश किया गया है. हालांकि, विपक्षी दल ऐसे बांड के माध्यम से वित्त पोषण में कथित अपारदर्शिता को लेकर चिंता जताते रहे हैं.
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'बिक्री के 19वें चरण में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) को एक जनवरी से 10 जनवरी, 2022 तक उसकी 29 शाखाओं के जरिए चुनावी बांड जारी करने और उसे भुनाने के लिए अधिकृत किया गया है.'
ये शाखाएं लखनऊ, शिमला, देहरादून, कोलकाता, गुवाहाटी, चेन्नई, तिरुवनंतपुरम, पटना, नयी दिल्ली, चंडीगढ़, श्रीनगर, गांधीनगर, भोपाल, रायपुर और मुंबई जैसे शहरों में हैं.
योजना के प्रावधानों के अनुसार, चुनावी बांड किसी भी ऐसे व्यक्ति द्वारा खरीदा जा सकता है, जो भारत का नागरिक है या भारत में निगमित या स्थापित कंपनी है. ऐसे पंजीकृत राजनीतिक दल ही चुनावी बांड प्राप्त करने के पात्र होंगे, जिन्हें लोकसभा के पिछले आम चुनाव अथवा राज्य विधानसभा के चुनाव में डाले गए मतों का कम से कम एक प्रतिशत मत प्राप्त हुआ हो.
बता दें कि इस साल सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. पश्चिम पश्चिम बंगाल समेत अन्य राज्यों में चुनाव के दौरान चुनावी बॉन्ड पर रोक लगाने की मांग की गई थी. कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह योजना 2018 में लागू हुई और चल भी रही है. वहीं, इसके लिए सुरक्षा उपाय भी किए गए हैं.
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