असम में सियासत गरमाई हुई है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रिपुन बोरा ने कांग्रेस छोड़ दिया है. वह तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. बता दें कि कांग्रेस ने बोरा को संसद के ऊपरी सदन के चुनाव के लिए फिर से उम्मीदवार बनाया था. असम में विपक्षी दलों के संयुक्त उम्मीदवार के तौर पर वह राज्यसभा चुनाव हार गए थे. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के कई नेता पूर्वोत्तर राज्य में भाजपा के साथ सांठगांठ करके काम कर रहे हैं. वहीं तृणमूल कांग्रेस ने बोरा के पार्टी ज्वाइन करने को लेकर खुशी जताई है.
वहीं असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने कहा है कि अगर कल एक और राज्यसभा चुनाव होता है, तो कांग्रेस विधायक उन्हें वोट देंगे. यह सच है कि राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के 9-10 विधायकों ने वोट दिया या हमारी मदद की और अगर कल फिर राज्यसभा चुनाव होते हैं, तो वे मेरी मदद करेंगे. चाहे आप इसे कांग्रेस के साथ उनका विश्वासघात कहें या मेरे लिए उनका प्यार. लेकिन तथ्य यह है कि अगर कल राज्यसभा चुनाव होते हैं, तो वे फिर से मेरी मदद करेंगे.
कांग्रेस से इस्तीफा देने के तुरंत बाद तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने वाले बोरा ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे इस्तीफे में कहा कि पार्टी में अंतर्कलह से भाजपा को मदद मिली और उन्हें 1976 में छात्र नेता के दिनों से उसका सदस्य होने के बावजूद पार्टी छोड़ने पर विवश होना पड़ा. बोरा ने अपने त्याग पत्र में कहा, ‘‘मुझे आपको यह सूचित करते हुए बहुत दुख हो रहा है कि असम में यह खुला रहस्य है कि भाजपा के खिलाफ लड़ने के बजाय असम पीसीसी (प्रदेश कांग्रेस समिति) के वरिष्ठ नेताओं का एक वर्ग भाजपा सरकार मुख्यत: मुख्यमंत्री के साथ गुप्त समझौता किये हुए है.''
राज्य के पूर्व मंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी के कुछ नेताओं ने इस तरह से भूमिका निभायी, जिससे भाजपा के लिए हाल में असम से दोनों राज्यसभा सीट पर जीत दर्ज करने का मार्ग प्रशस्त हो गया. बोरा ने दावा किया कि वह 2016 में एपीसीसी प्रमुख का पदभार संभालने के बाद कांग्रेस को ऐसी स्थिति में ला पाए, जहां लोगों ने उससे 2021 के विधानसभा चुनावों में सरकार बनाने की उम्मीद की. उन्होंने कहा कि असम पीसीसी के वरिष्ठ नेताओं के एक धड़े की अंदरुनी कलह के कारण लोगों का हमसे भरोसा उठ गया और उन्होंने हमें जनादेश नहीं दिया.
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