पिछले कुछ वर्षों में करीब 240 प्राचीन कलाकृतियों को भारत वापस लाया गया: PM मोदी

मोदी ने वाराणसी से चुराई गई मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा, गुजरात से महिषासुर मर्दिनी की प्रतिमा, चोल साम्राज्य के दौरान बनी नटराज की मूर्तियां और गुरु हरगोबिंद सिंह जी के नाम से सजी तलवार का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा, ‘‘आजादी के पहले और आजादी के बाद भी हमारे देश से अनेकों कलाकृतियां अनैतिक तरीके से बाहर ले जाई गई हैं.

विज्ञापन
Read Time: 26 mins

नई दिल्ली: PM मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि उनकी सरकार ने देश की ऐतिहासिक वस्तुओं और विरासत के संरक्षण को प्राथमिकता दी है. उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि आजादी के बाद इस दिशा में पर्याप्त प्रयास नहीं किए गए. यहां प्रगति मैदान में अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय एक्सपो 2023 का उद्घाटन करने के बाद एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने प्राचीन भारतीय कलाकृतियों की 'तस्करी और विनियोग' का मुद्दा भी उठाया और कहा कि दुनिया में भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा के बीच विभिन्न देशों ने अब भारत से संबंधित विरासत कलाकृतियों को लौटाना शुरू कर दिया है.

मोदी ने वाराणसी से चुराई गई मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा, गुजरात से महिषासुर मर्दिनी की प्रतिमा, चोल साम्राज्य के दौरान बनी नटराज की मूर्तियां और गुरु हरगोबिंद सिंह जी के नाम से सजी तलवार का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा, ‘‘आजादी के पहले और आजादी के बाद भी हमारे देश से अनेकों कलाकृतियां अनैतिक तरीके से बाहर ले जाई गई हैं. हमें इस तरह के अपराध को रोकने के लिए मिलकर काम करना होगा.'' उन्होंने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि आज दुनियाभर में भारत की बढ़ती साख के बीच, अब विभिन्न देश, भारत को उसकी धरोहरें लौटाने लगे हैं.''

मोदी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में करीब 240 प्राचीन कलाकृतियों को भारत वापस लाया गया है जबकि इसके पहले कई दशकों तक यह संख्या 20 भी नहीं पहुंची थी. उन्होंने कहा कि पिछले नौ वर्षों में भारत से सांस्कृतिक कलाकृतियों की तस्करी भी काफी कम हुई है.

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर लोगों से ऐतिहासिक वस्तुओं के संरक्षण की अपील की और इसकी शुरुआत अपने घर से करने को कहा. उन्होंने कहा, ‘‘क्यों ना भारत में हर परिवार अपने घर में अपना एक पारिवारिक संग्रहालय बनाए? घर के ही लोगों के विषय में, अपने ही परिवार की जानकारियां. इसमें घर की, घर के बुजुर्गों की, पुरानी और कुछ खास चीजें रखीं जा सकती हैं.''

Advertisement

उन्होंने कहा, ‘‘आज आप जो एक पेपर लिखते हैं, वह आपको सामान्य लगता है. लेकिन आपकी लेखनी में वही कागज का टुकड़ा, तीन-चार पीढ़ी के बाद एक भावनात्मक संपत्ति बन जाएगी. ऐसे ही हमारे स्कूलों को भी, हमारे भिन्‍न-भिन्‍न संस्थानों और संगठनों को भी अपने-अपने संग्रहालय जरूर बनाने चाहिए. देखिएगा, इससे कितनी बड़ी और ऐतिहासिक पूंजी भविष्य के लिए तैयार होगी.''

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि गुलामी के कालखंड में जहां कितनी ही पांडुलिपियां और पुस्तकालय जला दिए गए. वहीं, आजादी के बाद अपनी धरोहरों को संरक्षित करने के जो प्रयास होने चाहिए थे, वह भी नहीं किए गए. उन्होंने कहा, ‘‘गुलामी के सैकड़ों वर्षों के लंबे कालखंड ने भारत का एक नुकसान यह भी किया कि हमारी लिखित और अलिखित बहुत सारी धरोहर नष्ट कर दी गईं. हमारी कितनी ही पांडुलिपियां और पुस्तकालय गुलामी के कालखंड में जला दिए गए. यह केवल भारत का ही नहीं, पूरी दुनिया और पूरी मानवजाति का नुकसान था.''

Advertisement

उन्होंने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से आजादी के बाद अपनी धरोहरों को संरक्षित करने के जो प्रयास होने चाहिए थे, वह हो नहीं पाए. लोगों में धरोहरों के प्रति जागरूकता की कमी ने इस संकट को और ज्यादा बढ़ा दिया. इसलिए आजादी के अमृत काल में भारत ने जिन 'पंच प्राणों' की घोषणा की है और उनमें प्रमुख है ‘अपनी विरासत पर गर्व'.''

Advertisement

प्रधानमंत्री ने स्थानीय और ग्रामीण संग्रहालयों को संरक्षित करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से चलाए जा रहे विशेष अभियान का उल्लेख करते हुए कहा कि उनकी सरकार हर राज्य, हर क्षेत्र और हर समाज के इतिहास को संरक्षित करने का प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकार स्वाधीनता संग्राम में जनजातीय समुदाय के योगदान को अमर बनाने के लिए 10 विशेष संग्रहालय भी बना रही है.

आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में 47वें अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस (आईएमडी) का जश्न मनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है. इस वर्ष के लिए अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस का विषय 'संग्रहालय, स्थिरता और कल्याण' है.

Advertisement

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक में राष्ट्रीय संग्रहालय के एक ‘वर्चुअल वॉकथ्रू' का उद्घाटन किया. यह संग्रहालय भारत के अतीत से संबंधित उन ऐतिहासिक घटनाओं, व्यक्तित्वों, विचारों और उपलब्धियों को उजागर करने और प्रदर्शित करने का एक व्यापक प्रयास है, जिन्होंने भारत के वर्तमान के निर्माण में योगदान दिया है. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय प्रदर्शनी के शुभंकर, ‘ग्राफिक नोवेल- संग्रहालय में एक दिन', भारतीय संग्रहालयों की निर्देशिका, कर्तव्य पथ के पॉकेट मानचित्र और संग्रहालय कार्ड का भी विमोचन किया.

ये भी पढ़ें:- 

मुताबिक, शिवकुमार शायद पहले से जानते थे कि सिद्दारमैया सीएम की रेस में उनसे आगे हैं. लेकिन शिवकुमार का मकसद ये सुनिश्चित करना था कि सरकार में सिद्धारमैया का पूरा कंट्रोल न रहे. ऐसा लगता है कि शिवकुमार अपने मकसद में कामयाब हो गए हैं.

सोनिया गांधी से बात करने के बाद ही उपमुख्यमंत्री बनने पर राज़ी हुए डी.के. शिवकुमार

विधायक दल की बैठक से 'मुख्‍यमंत्री' की घोषणा तक...ऐसे सिद्धारमैया के नाम पर बनी सहमति

Featured Video Of The Day
Maharashtra में आज 14 बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार, नवी मुंबई से हुई गिरफतारी
Topics mentioned in this article