"क्या हम 17वीं सदी की ओर जा रहे हैं?": महिला को निर्वस्त्र कर घुमाने के मामले पर कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट की एक बेंच ने बेलगावी के पुलिस आयुक्त को भी तलब किया है. इसके तहत सहायक पुलिस आयुक्त (ACP) को 18 दिसंबर को अतिरिक्त रिपोर्ट दाखिल करने के लिए व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होना होगा.

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कर्नाटक हाईकोर्ट ने  इसे असाधारण मामला करार देते हुए कहा, 'इसके साथ हमारे हाथों असाधारण व्यवहार किया जाएगा.'
बेंगलुरु:

कर्नाटक के बेलगावी जिले के एक गांव में एक महिला के साथ कथित तौर पर मारपीट और उसे निर्वस्त्र कर घुमाने की घटना पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की. कर्नाटक हाईकोर्ट ने  इसे असाधारण मामला करार देते हुए कहा, 'इसके साथ हमारे हाथों असाधारण व्यवहार किया जाएगा.'

महिला के बेटे के एक लड़की के साथ भाग जाने के बाद हुई घटना
बता दें कि यह घटना 11 दिसंबर की सुबह उस महिला के बेटे के एक लड़की के साथ भाग जाने के बाद हुई. पुलिस ने बताया कि लड़की की सगाई किसी और से होने वाली थी. इसके बारे में पता चलने पर लड़की के परिवार वालों ने न्यू वंटामुरी गांव स्थित लड़के के घर पर हमला कर उसे क्षतिग्रस्त कर दिया.

इसके साथ ही लड़के की मां के के साथ कथित तौर पर मारपीट की और उसे घसीट कर ले गए, उसे निर्वस्त्र कर घुमाया और बिजली के खंभे से बांध दिया. 

हाईकोर्ट की एक बेंच ने बेलगावी के पुलिस आयुक्त को भी किया तलब
इस मामले को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट की एक बेंच ने बेलगावी के पुलिस आयुक्त को भी तलब किया है. इसके तहत सहायक पुलिस आयुक्त (ACP) को 18 दिसंबर को अतिरिक्त रिपोर्ट दाखिल करने के लिए व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होना होगा. एडवोकेट जनरल ने गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना की खंडपीठ बी वराले और न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित के समक्ष घटना पर की गई कार्रवाई के बारे में एक ज्ञापन और कुछ दस्तावेज सौंपे हैं.

कोर्ट ने हमलावरों को तुरंत गिरफ्तार करने का दिया निर्देश
हालाँकि, कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट कम पड़ रही है. " हम यह कह सकते हैं कि कम से कम घटना के बाद जिस तरह से चीजें हुईं, उससे हम संतुष्ट नहीं हैं. जब महाधिवक्ता ने प्रस्तुत किया कि एसीपी मामले की जांच कर रहा है, तो एचसी ने आयुक्त और एसीपी को उपस्थित होने और अतिरिक्त रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि हमलावरों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए.

यह घटना आने वाली पीढ़ी को प्रभावित करेगी: कोर्ट
इस घटना पर गंभीर आपत्ति जताते हुए अदालत ने कहा, "यह हम सभी के लिए शर्म की बात है. हम आजादी के 75 साल बाद इस स्थिति की उम्मीद नहीं कर सकते. यह हमारे लिए एक बड़ा सवाल है कि क्या हम 21वीं सदी में जा रहे हैं या 17वीं शताब्दी में वापस जा रहे हैं?".  "क्या हम समानता या प्रगतिशीलता देखने जा रहे हैं या हम 17वीं और 18वीं शताब्दी में वापस जा रहे हैं. अदालत ने आगे कहा कि यह घटना आने वाली पीढ़ी को प्रभावित करेगी.

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