जबरन धर्मांतरण कराए जाने को नियंत्रित करने की याचिका पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर दिया है. जिसमें कहा है कि केंद्र इस मुद्दे की गंभीरता को समझता है. केंद्र द्वारा इस मुद्दे को पूरी गंभीरता से लिया जाएगा. जबरन धर्म परिवर्तन को लेकर उचित कदम उठाए जाएंगे. केंद्र ने कहा है कि याचिका में उठाए गए मुद्दे की गंभीरता से अवगत हैं. महिलाओं और आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों सहित समाज के कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए ऐसे कानू की आवश्यक है. सार्वजनिक व्यवस्था राज्य का विषय है, कुछ राज्यों में पहले से ही कानून हैं. उड़ीसा, एमपी, गुजरात, छत्तीसगढ़, झारखंड उत्तराखंड, यूपी, कर्नाटक और हरियाणा में. वर्तमान याचिका में मांगी गई राहत को केंद्र द्वारा गंभीरता से लिया जाएगा. उचित कदम उठाए जाएंगे क्योंकि केंद्र इस खतरे से अवगत है.
14 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने जबरन धर्म परिवर्तन पर चिंता जताते हुए कहा था कि जबरन धर्म परिवर्तन की समस्या गंभीर है. जबरन धर्मांतरण राष्ट्र के हित के खिलाफ है. ये राष्ट्रीय सुरक्षा के भी खिलाफ है. देश में धर्म परिवर्तन की इजाजत है लेकिन जबरन धर्म परिवर्तन की नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाए थे और पूछा था कि इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं. यह ज्यादातर आदिवासी इलाकों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों में हो रहा है. राज्यों के पास कानून हो सकते हैं, केंद्र को भी हस्तक्षेप करना चाहिए. केंद्र को कहा कि 22 नवंबर तक जवाब दाखिल करें. जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने सुनवाई की थी.
वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कुछ राज्यों ने इन मामलों में कानून बनाए हैं. हम 22 नवंबर तक हलफनामा दाखिल करेंगे. हम बताएंगे कि क्या-क्या कदम उठा रहे हैं. 23 सितंबर को SC ने गृह मंत्रालय और कानून मंत्रालय को नोटिस जारी किया था और चार सप्ताह में जवाब मांगा था. बेंच के सामने याचिकाकर्ता के वकील ने कहा था कि लोगों को धमकाकर, उपहारों के जरिए और पैसे का लाभ देकर धोखे से धार्मिक रूपांतरण और धर्मांतरण देश में बड़े पैमाने पर कराया जा रहा है. इस गतिविधि को नियंत्रित करने के लिए भारतीय दंड संहिता में प्रावधान कड़े किए जाए. याचिका में केंद्र और राज्यों से कड़े कदम उठाने का निर्देश देने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की गई है.
इसके अलावा याचिका में कानून आयोग से 3 महीने के भीतर धोखाधड़ी से धर्मांतरण कराए जाने के मामले पर विधेयक और धर्मांतरण को नियंत्रित करने के लिए एक रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश देने की मांग की गई है. बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में धर्मांतरण को लेकर एक याचिका दाखिल की है.