"अपने पैरों के निशान कम कर रहा PAK": केंद्र ने बताया सीमा पार से कैसे हो रही हथियारों की तस्करी

जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन के इंचार्ज एक सीनियर अधिकारी ने बताया, "पाकिस्तान अपने पैरों के निशानों को कम कर रहा है, ताकि कोई उस तक कुछ भी न पहुंच सके. इसलिए सीमा पार से हथियार लाने के लिए ये मुल्क ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा है. ड्रोन से लाए गए कई खेपों का पता लगाया गया है."

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इस साल के छह महीनों में जम्मू-कश्मीर में केवल 26 आतंकी घटनाएं सामने आई हैं.
नई दिल्ली:

केंद्र ने मंगलवार को संसद में बताया कि जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ के मामलों में गिरावट आई है, लेकिन पाकिस्तान आतंकवाद को जीवित रख रहा है. पाकिस्तान ड्रोन के जरिए भारत में हथियार और ड्रग्स भेजने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहा है. गृह मंत्रालय ने कहा कि राष्ट्र-विरोधी तत्व और तस्कर पंजाब में भारत-पाकिस्तान सीमा के पार हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं. पिछले तीन साल में ऐसी 53 घटनाओं का पता चला है. एक सवाल के जवाब में गृह मंत्रालय ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में इस साल जून के अंत तक कोई घुसपैठ की सूचना नहीं मिली है.

जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन के इंचार्ज एक सीनियर अधिकारी ने NDTV को बताया, "पाकिस्तान अपने पैरों के निशानों को कम कर रहा है, ताकि कोई उस तक कुछ भी न पहुंच सके. इसलिए सीमा पार से हथियार लाने के लिए ये मुल्क ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा है. ड्रोन से लाए गए कई खेपों का पता लगाया गया है. कुछ खेप का अभी पता नहीं चल पाया है." 

अधिकारी के मुताबिक, पहले हथियार और नशीले पदार्थ व्यापार मार्गों से जम्मू-कश्मीर पहुंचते थे, लेकिन अब उन्होंने नए तरीके अपना लिए हैं. पाकिस्तान गलत रास्ते पर नहीं जाना चाहता, लेकिन युवाओं को खिलाने के लिए नशीले पदार्थों का इस्तेमाल कर रहा है."

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ड्रोन के इस्तेमाल की कुल 53 घटनाओं का पता चला
केंद्रीय गृहराज्य मंत्री निसिथ प्रमाणिक ने अपने लिखित उत्तर में कहा कि राष्ट्र विरोधी तत्व और तस्कर पंजाब में भारत-पाकिस्तान सीमा पर हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं. पिछले तीन सालों और इस साल 30 जून तक हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी में ड्रोन के इस्तेमाल की कुल 53 घटनाओं का पता चला है.

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प्रमाणिक ने कहा, "इस संबंध में सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए हैं. इसमें बीएसएफ द्वारा सीमाओं पर 24 घंटे प्रभावी नियंत्रण, निगरानी, ​​गश्त, नाके लगाना, अंतरराष्ट्रीय सीमा पर निगरानी चौकियों की तैनाती शामिल है. जैसे ही कोई ड्रोन गतिविधि देखी जाती है, स्थानीय पुलिस को तुरंत सूचित किया जाता है."

आम जनता को संवेदनशील बनाया गया
केंद्रीय गृहराज्य मंत्री निसिथ प्रमाणिक ने कहा, "सीमावर्ती इलाकों में आम जनता को संवेदनशील बनाया गया है. उन्हें ऐसी यूएवी और ड्रोन गतिविधियों के बारे में जागरूक किया गया है." मंत्री ने यह भी खुलासा किया कि गृह मंत्रालय ने डीजी बीएसएफ की देखरेख में एंटी रॉग ड्रोन टेक्नोलॉजी कमेटी (एआरडीटीसी) की स्थापना की है. इसका उद्देश्य दुश्मन के ड्रोन का मुकाबला करने के लिए उपलब्ध तकनीक का मूल्यांकन करना है.

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जम्मू-कश्मीर में इस साल अब तक हुई 26 आतंकी घटनाएं
इस बीच एक अन्य जवाब में गृह मंत्रालय ने कहा कि इस साल के छह महीनों में जम्मू-कश्मीर में केवल 26 आतंकी घटनाएं सामने आई हैं. पिछले साल कम से कम 125 आतंकी घटनाएं और 14 सफल घुसपैठ की सूचना मिली थी. जबकि 2021 में 134 आतंकी घटनाएं और 34 सफल घुसपैठ के प्रयास सामने आए.

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गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा, "आतंकवादी हिंसा को रोकने के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे उपायों में आतंकवादियों के खिलाफ सक्रिय आतंकवाद विरोधी अभियान, आतंकवादियों के जमीनी समर्थकों की पहचान और गिरफ्तारी, पुलिस, सेना, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) की तैनाती और रात्रि गश्त और क्षेत्र पर प्रभुत्व शामिल है." 

नित्यानंद राय ने कहा, "कानून की प्रासंगिक धाराओं के तहत आतंकवादियों और उनके सहयोगियों की संपत्तियों की कुर्की, वास्तविक समय के आधार पर सभी सुरक्षा बलों के बीच खुफिया जानकारी साझा करना, किसी भी आतंकवादी घटना को नाकाम करने के लिए सर्च ऑपरेशन भी चलाया जा रहा है."

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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