भारत के सर्वोच्च न्यायालय के काम करने के तरीके में पिछले कुछ समय में काफी बदलाव आया है. इसकी एक वजह चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) भी हैं. एनडीटीवी के साथ एक खास बातचीत में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने बताया कि अगर आधी रात को भी अगर किसी गंभीर मुद्दे की उन्हें जानकारी मिलती है, तो उस मामले की अगले दिन सुनवाई के लिए भी वह तैयार रहते हैं.
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ एक केस का जिक्र करते हुए कहा, "मुझे एक बार आधी रात को एक संदेश मिला कि एक लड़की को मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी की इजाजत चाहिए." इस लड़की के पास समय बहुत कम था, मामले की गंभीरता को सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने भांप लिया. उन्होंने बताया, " मैंने तुरंत अपने सहकर्मियों को रात में ही इस केस के बारे में सूचित किया और अगले दिन सुबह उस केस पर सुनवाई की गई."
डीवाई चंद्रचूड़ ने बताया कि यह पहला मौका नहीं था, जब इतने कम समय में बेंच बनाकर किसी मामले की सुनवाई की गई. हमारे सामने आना वाला कोई केस छोटा या बड़ा नहीं होता है. अगर किसी का घर गिराया जा रहा है, किसी को सरेंडर करना है, लेकिन उसकी मेडिकल कंडीशन ठीक नहीं है, किसी की नौकरी का मुद्दा है... ऐसी कई समस्याएं लेकर लोग सुप्रीम कोर्ट में आते हैं. इन सभी समस्याओं को हम गंभीरता से लेते हैं और उन्हें सुलझाने की कोशिश करते हैं"
उन्होंने बताया, "देखिए, अदालतों को बनाने का मकसद ही आम लोगों को न्याय दिलाने के लिए हुआ था. इसलिए हम सभी मामलों को एक ही नजरिये से देखते हैं. हमारा उद्देश्य आम लोगों के लिए खड़ा रहना है. हमारे लिये यह मायने नहीं रखता कि किस राज्य में किसकी सरकार है.लोग जब अदालतों पर भरोसा जताते हैं, तब हमें इस संवैधानिक ढांचे का अहम हिस्सा होने पर खुशी होती है. मैं लोगों को यहां से एक संदेश देना चाहता हूं कि हम अपनी वर्किंग लाइफ के हर पल में आम लोगों के लिए मौजूद हैं. कई बार मुझे आधी रात को भी ई-मेल आता है और मैं हमेशा उनका जवाब देता हूं."
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