ANSC बैंक घोटाला: 500 करोड़ से ज्यादा की ठगी मामले में पूर्व सांसद सहित 39 लोगों के खिलाफ ईडी की चार्जशीट

ANSC बैंक घोटाले में नियम-कानून पूरी तरह ताक पर रख दिए गए और इन लोगों का लोन को वापस चुकाने का कोई इरादा नहीं था. इस पूरे घोटाले में 500 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम नॉन पर फॉर्मिंग असेट्स बन गई, यानी बैंक को भारी नुकसान हुआ. 

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  • ED ने अंडमान निकोबार स्टेट कोऑपरेटिव बैंक घोटाले में 39 लोगों और संस्थाओं के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है.
  • बैंक अधिकारियों ने 100 से अधिक फर्जी कंपनियां बनाकर बड़े पैमाने पर लोन धोखाधड़ी की योजना बनाई थी.
  • घोटाले में 500 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम नॉन परफॉर्मिंग असेट्स बन गई, जिससे बैंक को भारी नुकसान हुआ.
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नई दिल्‍ली :

प्रवर्तन निदेशालय की कोलकाता जोनल यूनिट ने अंडमान निकोबार स्टेट कोऑपरेटिव बैंक (ANSCBL) घोटाले में बड़ी कार्रवाई करते हुए 39 लोगों और संस्थाओं के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है. यह मामला बैंक अधिकारियों और निजी लोगों की मिलीभगत से किए गए बड़े लोन घोटाले का है. जांच में सामने आया है कि बैंक अधिकारियों ने 100 से ज्यादा फर्जी कंपनियां और फर्म बनाई. साथ ही इन कंपनियों को बड़े-बड़े लोन दे दिए गए. 

बैंक के नियम-कानून पूरी तरह ताक पर रख दिए गए और इन लोगों का लोन को वापस चुकाने का कोई इरादा नहीं था यानी शुरुआत से ही धोखाधड़ी की योजना थी. इस पूरे घोटाले में 500 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम नॉन पर फॉर्मिंग असेट्स (Non-Performing Assets) बन गई, यानी बैंक को भारी नुकसान हुआ. 

ED ने इन लोगों को बनाया आरोपी

  • कुलदीप राय शर्मा, पूर्व सांसद, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह और पूर्व चेयरमैन, ANSCBL
  • के मुरुगन, मैनेजिंग डायरेक्टर, ANSCBL
  • के कलैवनन, लोन ऑफिसर, ANSCBL
  • संजय लाल, संजीव लाल और अन्य कई लोग

लोन दिलवाने के लिए लेते थे 5% कमीशन

कुलदीप राय शर्मा और दो अन्य बैंक अधिकारी अपने रिश्तेदारों और सहयोगियों के नाम पर कंपनियां बनाकर खुद भी लोन ले रहे थे. ये अधिकारी अपने लोगों को भी लोन दिलवाते थे और इसके बदले 5% कमीशन लेते थे. यह कमीशन कैश में या शेल कंपनियों के बैंक खातों के जरिए लिया जाता था. 

ED पहले ही चार लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. इनमें कुलदीप राय शर्मा, के मुरुगन, के कलैवनन और संजय लाल शामिल हैं. ये सभी अभी न्यायिक हिरासत में हैं. 

कैश में निकाली गई लोन की रकम 

जांच में पता चला कि लोन की रकम कई शेल कंपनियों में घुमाई गई और फिर कैश में निकाली गई, जिससे टॉप बैंक अधिकारियों को हिस्सा दिया जाता था. 

ईडी ने अब तक 50 से ज्यादा प्रॉपर्टियों की पहचान कर ली है जो इस घोटाले से जुड़ी हैं. ED का कहना है कि पूरी सच्चाई सामने लाने और बाकी काले धन का पता लगाने के लिए जांच जारी है. यह अंडमान-निकोबार के इतिहास के सबसे बड़े बैंक घोटालों में से एक माना जा रहा है. 

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