पशु क्रूरता निरोधक नियमों पर SC की दोटूक, 'जानवर लोगों की आजीविका के स्रोत, इस तरह नहीं छीन सकते'

CJI ने कहा कि कुत्‍तों-बिल्लियों को छोड़कर बहुत से जानवर बहुत से लोगों की आजीविका के स्रोत हैं, आप इसे इस तरह नहीं छीन ले जा सकते. यह धारा 29 के विरूद्ध है, आपके नियम विरोधाभासी हैं.

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सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर अब सोमवार को सुनवाई होगी (प्रतीकात्‍मक फोटो)
नई दिल्ली:

पशुओं के जबरन परिवहन में इस्तेमाल पर उस वाहन को कब्जे में करने तथा पशुओं को गोशाला या गाय आश्रयों को भेजने को 2017 के नियम (Animal prevention act 2017) को चुनौती देने का मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंच गया है. SC ने इस मामले केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन पर उठाया सवाल उठाया है. CJI एसए बोबडे ने कहा कि कुत्‍तों-बिल्लियों को छोड़कर बहुत से जानवर बहुत से लोगों की आजीविका के स्रोत हैं, आप इसे इस तरह नहीं छीन ले जा  सकते. यह धारा 29 के विरूद्ध है, आपके नियम विरोधाभासी हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इशारा किया कि वो इन नियमों पर रोक लगा सकता है.केंद्र सरकार की ओर से ASG जयंत सूद (ASG Jayant Sood)ने अतिरिक्त  हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा. सुप्रीम कोर्ट में मामले की सोमवार को सुनवाई होगी.

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गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट, बुफेलो ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें 2017 के नोटिफिकेशन की वैधता को चुनौती दी गई है जिसमें अधिकारियों को मवेशियों के परिवहन में प्रयुक्त वाहनों को जब्त करने और पशुओं को 'गौशाला' (गौ आश्रय गृह) भेजने की अनुमति दी गई है. जुलाई 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. जस्टिस एसए बोबड़े और बीआर गवई की पीठ ने याचिका पर केंद्र को एक नोटिस जारी किया था जिसमें दावा किया गया कि इस तरह का नोटिफिकेशन मूल कानून, क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के प्रावधानों से बाहर चला गया है. याचिकाकर्ता, दिल्ली के पशु व्यापारियों के संगठन, का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े और अधिवक्ता सनोबर अली कुरैशी ने किया है, इसमें 23 मई, 2017 को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा अधिसूचित पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम (केस संपत्ति प्राणियों की देखभाल और रखरखाव) नियम, 2017 और पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम (पशुधन बाजारों का विनियमन) नियम, 2017 को असंवैधानिक और अवैध करार देने की मांग की गई है
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SC ने कहा ये नियम कानून के विपरीत है, अगर सरकार प्रावधानों को नहीं हटाती है तो अदालत इसे रोक  सकती है. हालांकि, अदालत ने इस मामले को सरकार के वकील के अनुरोध पर 11 जनवरी के लिए स्थगित कर दिया. चीफ जस्टिस ने कहा- हम एक बात समझते हैं. पालतू जानवर नहीं, पशु लोगों की आजीविका का स्रोत होते हैं. आप (सरकार) उन्हें गिरफ़्तार करने से पहले उन्हें पकड़ नहीं कर सकते. इसलिए प्रावधान विपरीत हैं. आप इसे हटा दें या हम इसे हटा देंगे. केंद्र के वकील ने बताया कि सरकार ने नियमों को अधिसूचित किया है और यह जानवरों पर क्रूरता को रोकने और रिकॉर्ड पर साक्ष्य है. चीफ जस्टिस ने कहा- कानून में संशोधन करें, धाराएं बहुत स्पष्ट हैं.दोषी पाए जाने पर एक व्यक्ति अपने जानवर को खो सकता है. नियम कानून के विपरीत नहीं हो सकता है.

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