कर्नल मनप्रीत और मेजर आशीष को मिला था मेडल, DSP हुमायूं के पिता भी रह चुके हैं आईजी,जानें शहीद अधिकारियों के बारे सबकुछ

सेना और पुलिस को अनंतनाग के कोकरनाग हलूरा गंडूल के जंगलों में आतंकियों के छुपे होने की खबर मिली. सुरक्षाबलों ने कर्नल मनप्रीत सिंह की अगुवाई में आतंकियों पर धावा बोला था. इस कार्रवाई के दौरान ही तीनों अधिकारी घायल हो गए थे.

विज्ञापन
Read Time: 20 mins
नई दिल्ली:

जम्मू कश्मीर में अनंतनाग जिले के कोकरनाग इलाके में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में सेना के एक कर्नल सहित तीन अधिकारी शहीद हो गए. कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष और जम्मू कश्मीर पुलिस के उपाधीक्षक हुमायूं भट गोलीबारी में गंभीर रूप से घायल हो गए और बाद में उनकी मृत्यु हो गई.तीनों ही जांबाज अधिकारियों के शहीद होने पर देश भर में गम का माहौल है. इन तीनों अफसरो ने बहादुरी के साथ मुकाबला किया.

सेना और पुलिस को अनंतनाग के कोकरनाग हलूरा गंडूल के जंगलों में आतंकियों के छुपे होने की खबर मिली. सुरक्षाबलों ने कर्नल मनप्रीत सिंह की अगुवाई में आतंकियों पर धावा बोला. घने पहाड़ी जंगल में छुपे आतंकियो ने फायरिंग शुरु कर दी.  अपनी जान की परवाह किए बिना सुरक्षाबलों ने आतंकियों का डटकर मुकाबला किया. आतंकियों की गोली लगने से तीनों अफसर घायल हो गए थे बाद में इनकी मौत हो गई. 

बचपन से ही फौज में जाना चाहते थे शहीद कर्नल मनप्रीत सिंह

आतंकियों से लोहा लेने वाली सेना 19 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर 41 साल के कर्नल मनप्रीत सिंह हरियाणा के पंचकुला के रहने वाले थे. अपनी 18 साल की सर्विस के दौरान हमेशा जांबाज़ कर्नल सिंह ने आगे बढ़कर मोर्चा थामा और जो भी जिम्मेदारी मिली उसे बहादुरी के साथ निभाया. और उस बहादुरी के लिए मनप्रीत को सेना मेडल से सम्मानित भी किया गया था.  कर्नल मनप्रीत अपने पीछे पत्नी जगमीत ग्रेवाल और एक बेटा और एक बेटी  को छोड़ गए. इसी पलटन ने बुरहान वानी समेत सैकड़ों आतंकियों को मार गिराया था. मनप्रीत के पिता भी फौज में थे और बचपन से ही मनप्रीत भी फ़ौजी वर्दी  पहनने का सपना देखने लगे थे. 

Advertisement

बहादुरी के लिए सेना मेडल मिल चुका था मेजर आशीष को

34 साल  के मेजर आशीष धोंचक भी हरियाणा के ही पानीपत के रहने वाले थे. 10 साल सेना में सर्विस कर चुके आशीष को भी बहादुरी के लिए सेना मेडल मिल चुका है. आशीष तीन बहनों के इकलौते भाई थे. अगले महीने 13 अक्टूबर को उन्हें छुट्टियों में अपने घर लौटना था क्योंकि उनका नया घर..गृह प्रवेश का इंतज़ार कर रहा था. मगर ये हो ना सका. वह अपने पीछे अपनी पत्नी ज्योति धोंचक और दो साल की बेटी को छोड़ गए है.   

Advertisement

हुमायूं मुज़म्मिल भट्ट पुलिस में आईजी रह चुके हैं

महज पांच साल पहले हुमायूं जम्मू कश्मीर पुलिस में भर्ती  हुए थे. तब से लेकर अब तक हुमायूं की ड्यूटी काफी चुनौती भरी रही. पहले आतंकियों के सफाए के लिये बने स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप में रहे. बुधवार को भी सेना के साथ आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई में पीछे नही रहे. गोली लगने के 6 घंटे बाद तक वो मौत से जंग लड़ते रहे पर 33 साल के बहादुर अफसर को बचाया नही जा सका. हुमायूं मुज़म्मिल भट्ट दूसरी पीढ़ी के पुलिस के अधिकारी थे. उनके पिता गुलाम हसन भट्ट पुलिस में आईजी रह चुके हैं.  हुमांयूं का घर डेढ़ साल पहले ही बसा था. महज 29 दिन पहले ही उनकी घर खुशियां आई थी जब उनके घर बेटे का जन्म हुआ था. 

Advertisement

ये भी पढ़ें-

Featured Video Of The Day
Russia Ukraine War: यूक्रेन पर ही दागकर रूस ने की नई मिसाइल टेस्टिंग | Vladimir Putin | NDTV India