अमित शाह ने प्रकाश सिंह बादल को श्रद्धांजलि दी, दिवंगत नेता को बताया 'भाईचारे का सरदार' 

अमित शाह लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और सोम प्रकाश तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता तरुण चुग के साथ प्रकाश सिंह बादल को श्रद्धांजलि देने के लिए मुक्तसर जिले के बादल गांव पहुंचे. बादल का 25 अप्रैल को 95 साल की उम्र में निधन हो गया था

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पंजाब: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को अकाली दल के दिवंगत नेता प्रकाश सिंह बादल को ‘भाईचारे का सरदार' बताया, जिन्होंने भाईचारे और हिंदू-सिख एकता को बढ़ावा देने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. अमित शाह ने कहा कि बादल का निधन न सिर्फ पंजाब, बल्कि पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है.

उन्होंने कहा, “बादल के निधन से सिख समाज ने एक सच्चा सिपाही खो दिया, देश ने एक देशभक्त खो दिया, किसानों ने एक सच्चा हमदर्द खो दिया और राजनीति ने एक ऐसा महान व्यक्ति खो दिया, जिसने उच्च मानक स्थापित किया. आपातकाल के दौरान प्रकाश सिंह बादल लोकतंत्र की रक्षा के लिए मजबूती से खड़े रहे. करगिल युद्ध हो या आतंक के खिलाफ लड़ाई, हर मोर्चे पर राष्ट्रहित के लिए बादल साहब ढाल बनकर हमेशा खड़े रहे.”

अमित शाह लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और सोम प्रकाश तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता तरुण चुग के साथ प्रकाश सिंह बादल को श्रद्धांजलि देने के लिए मुक्तसर जिले के बादल गांव पहुंचे. बादल का 25 अप्रैल को 95 साल की उम्र में निधन हो गया था. वह लंबे समय से बीमार थे और उन्हें सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद 16 अप्रैल को मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

बृहस्पतिवार को दिवंगत अकाली नेता की याद में उनके गांव में ‘भोग' कार्यक्रम और ‘अंतिम अरदास' का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओपी चौटाला, कांग्रेस नेता सचिन पायलट, राधा स्वामी सत्संग ब्यास के प्रमुख गुरिंदर सिंह ढिल्लों, अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी भी शामिल हुए.

‘अंतिम अरदास' में हिस्सा लेने के बाद शाह ने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि बादल के निधन से पैदा हुए खालीपन को भरना मुश्किल है. उन्होंने कहा कि बादल ने अपना जीवन एक ‘अजातशत्रु' की तरह जिया, जिसका कोई दुश्मन नहीं था. गृह मंत्री ने कहा, “प्रकाश सिंह बादल के निधन से ‘भाईचारे का सरदार' चला गया. उन्होंने अपना जीवन हिंदू-सिख एकता को समर्पित कर दिया था.”

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उन्होंने कहा कि राजनीतिक रूप से विरोध का सामना करने के बावजूद उन्होंने हमेशा सभी को एकजुट रखने का प्रयास किया. अमित शाह ने कहा कि वह और बादल दो अलग-अलग पार्टियों से ताल्लुक रखते थे, बावजूद इसके वह (बादल) उन्हें बताते थे कि ‘उनकी पार्टी के लिए भी क्या अच्छा रहेगा.'

भाजपा और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) लंबे समय तक एक-दूसरे की गठबंधन सहयोगी थीं. सितंबर 2020 में शिअद केंद्र द्वारा लाए गए तीन किसान कानूनों के विरोध में भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से अलग हो गया था. शाह ने यह भी कहा कि शिअद प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने उन्हें बताया है कि प्रकाश सिंह बादल ने बादल गांव में एक मंदिर, एक मस्जिद और एक गुरुद्वारा बनवाया था.

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गृह मंत्री ने कहा, “1970 से लेकर आज तक जब भी देश के लिए खड़े होने का समय आया, बादल साहब ने कभी पीठ नहीं दिखाई.” लंबे सियासी सफर में बादल की गिरफ्तारी का जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि बादल ताउम्र सिद्धांतों और पंथ के लिए लड़े. उन्होंने कहा कि बादल लोकतंत्र की रक्षा के लिए आपातकाल के खिलाफ चट्टान की तरह खड़े रहे.

शाह ने लोगों से बादल के जीवन से प्रेरणा लेने और उनके दिखाए रास्ते पर चलने की अपील की. वहीं, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पंजाब की समृद्धि में बादल के योगदान की सराहना की. उन्होंने कहा कि बादल ने सरपंच के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया और बाद में पंजाब के मुख्यमंत्री बने. बिरला ने कहा कि बादल ने हमेशा किसानों, गरीबों और समाज के अन्य कमजोर वर्गों के कल्याण के लिए काम किया.

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