22 लाख तेंदूपत्ता श्रमिकों को मात्र 296 रुपये का बोनस बांटने शिवराज सरकार ने खर्चे 25 करोड़ रुपये: कांग्रेस

आदिवासी मतदाताओं (Tribal Voters) को साधने  सात महीने में दूसरी बार केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) शुक्रवार सुबह भोपाल पहुंचे.

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मध्य प्रदेश में अमित शाह ने वन उपज संग्राहक सम्मेलन का उद्घाटन किया
भोपाल:

आदिवासी मतदाताओं (Tribal Voters) को साधने  सात महीने में दूसरी बार केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) शुक्रवार सुबह भोपाल पहुंचे. उन्होंने जंबोरी मैदान में वन उपज संग्राहक सम्मेलन का उद्घाटन किया, एक रोड शो किया और 22.6 लाख तेंदूपत्ता श्रमिकों को 67 करोड़ रुपये वितरित किए जो राज्य में आदिवासियों के लिए आजीविका का सबसे बड़ा स्रोत है. यानी भोपाल में अपने लगभग 10 घंटे के दौरे में, गृह मंत्री ने प्रत्येक तेंदूपत्ता श्रमिकों को लगभग 296 रुपये  वितरित किए.

मध्य प्रदेश का वन क्षेत्र 94,689 वर्ग किलोमीटर है, जो भारत में सबसे अधिक है. प्रदेश में 79.70 लाख हेक्टेयर वनक्षेत्र के प्रबंधन में जनभागीदारी के लिए 15,608 गांवों में वन समितियां कार्यरत हैं. 2020-21 तेंदूपत्ता सीजन में कोविड-19 के कारण लॉकडाउन के बाद भी दूर-दराज के क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी परिवारों को 415 करोड़ रुपये का पारिश्रमिक और 192 करोड़ रुपये  का लाभांश दिया गया. 

लेकिन इस साल तेंदूपत्ता की बिक्री से लाभ घटकर  67 करोड़ रुपये रह गया है, जो पिछले साल के 192 करोड़ रुपये से कम है, पांच साल में ये सबसे कम रकम है, जिससे 22 लाख तेंदूपत्ता संग्राहक सिर्फ  296 रुपये बोनस पाने के हकदार होंगे. वन समिति सम्मेलन में अपने संबोधन में, अमित शाह ने 827 "वन गांवों" को "राजस्व गांवों" में बदलने की घोषणा की.इन क्षेत्रों का विकास सुनिश्चित करने के लिए इन क्षेत्रों को राजस्व ग्राम घोषित करने की मांग की गई क्योंकि वन क्षेत्रों में परियोजनाओं को शुरू करने पर प्रतिबंध है. 

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अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा मैं यहां जबलपुर में आया था.उस वक्त शिवराज जी ने एक स्पीड में 17 घोषणाएं आदिवासी समाज के लिए की थी; मुझे ठीक से याद है. मैंने भी कार्यक्रम के बाद पूछा था, शिवराज जी घोषणाएं तो हो गई भैया! यह लोग हिसाब मांगेंगे.आज मैं आनंद के साथ कहता हूं, मैंने रास्ते में हेलीकॉप्टर पर पूछा, "17 की 17 घोषणाओं पर काम चालू हो गया है और आज कुछ योजनाओं पर अमल भी हो गया है.कांग्रेस सरकार के समय, (आदिवासी) लोगों के कल्याण के लिए केवल 21,000 करोड़ रुपये प्रदान किए गए थे, लेकिन 2014 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद, आदिवासी उत्थान के लिए धन को बढ़ाकर 78,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है. 

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हालांकि कांग्रेस (Congress)  ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने 67 करोड़ रुपये बांटने के लिए राज्य के खजाने से 25 करोड़ रुपये तक खर्च कर दिए. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा, " भाजपा ने आज भोपाल में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को बुलाकर एक बड़ा आयोजन किया , यह आयोजन तेंदूपत्ता संग्राहको को बोनस बांटने के नाम पर किया गया. 67 करोड़ के बोनस बांटने के लिए 20-25 करोड़ रुपए इस आयोजन-इवेंट के नाम पर आज लुटा दिए गए.भाजपा चूँकि हर काम को इवेंट के जरिए करती है , इवेंट करना उनकी आदत बन चुका है , प्रदेश के खजाने को इसी तरह इवेंट के नाम पर लुटाती आयी  है और आज भी भाजपा ने वैसा ही किया.

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दो वर्ष बाद यह बोनस दिया गया और वह भी करोड़ों लुटाकर ? यदि यह राशि इन वर्गों के हित व कल्याण के लिए खर्च की जाती तो शायद आज इस वर्ग  का ज्यादा भला होता. आगामी चुनाव को देखते हुए आदिवासी वर्ग व दलित वर्ग को साधने के लिए यह आयोजन किया गया ,जबकि पूरे प्रदेश का आदिवासी वर्ग जानता है कि देश में सबसे ज़्यादा जनजातीय वर्ग के लोग मध्यप्रदेश में रहते हैं और उनकी हालत किसी से छुपी नहीं है.

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मध्य प्रदेश में आदिवासियों की आबादी 1.53 करोड़ है, जिसमें लगभग 45 लाख लोग तेंदूपत्ता संग्रहण से आजीविका कमाते हैं, विधानसभा में 47 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं. 2018 में, बीजेपी ने अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित 47 सीटों में से 16 पर जीत हासिल की, जबकि 2013 इन सीटों पर उसके 31 उम्मीदवार विजयी रहे थे.

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