अमित शाह ने क्यों की अपने सिर की जवाहर लाल नेहरू से चर्चा, क्यों उठाया अक्साई चिन का मुद्दा

गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में अपने सिर की तुलना देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से करते हुए क्यों उठाया अक्साई चीन का मामला.

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  • अमित शाह ने 1962 के युद्ध में अक्साई चीन का 38 हजार वर्ग किलोमीटर हिस्सा चीन को दिए जाने का उल्लेख किया
  • शाह ने आरोप लगाया कि जवाहरलाल नेहरू ने कश्मीर और पीओके से संबंधित महत्वपूर्ण फैसले गलत तरीके से लिए थे
  • उन्होंने 1948 में कश्मीर में सैन्य बढ़त के बावजूद नेहरू द्वारा एकतरफा युद्धविराम किए जाने का जिक्र किया
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नई दिल्ली:

लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जोरदार भाषण दिया. इस दौरान उन्होंने भारत-चीन के बीच युद्ध के बाद कब्जाई गई अक्साई चीन का जिक्र किया. उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने 1962 के युद्ध में अक्साई चीन का 38 हजार वर्ग किलोमीटर हिस्सा चीन को दे दिया था. इसके साथ ही शाह ने सांसद महावीर प्रसाद त्यागी का जिक्र किया. शाह ने कहा है कि 'ऑपरेशन सिंदूर' से ऐसा सबक सिखाया गया है कि लंबे समय तक कोई ऐसी वारदात को अंजाम देने की हिम्मत नहीं करेगा.

नेहरू ने कितनी जमीन चीन को दी थी

अमित शाह ने कहा कि 1962 के युद्ध में क्या हुआ था, 38 हजार वर्ग किलोमीटर अक्साई चिन का हिस्सा चीन को दे दिया गया. शाह ने कहा कि संसद में चर्चा के दौरान नेहरू ने कहा कि वहां घास का एक तिनका भी नहीं उगता है, उस जगह का क्या करूं. शाह ने कहा कि नेहरू जी का सिर मेरा जैसा था, एक संसद महावीर प्रसाद त्यागी जी ने कहा कि आपके सिर एक बाल नहीं वो भी चीन को भेज दें क्या. शाह ने इसके साथ ही आरोप लगाया कि आज यदि पीओके का अस्तित्व है तो वह पंडित जवाहरलाल नेहरू के कारण है.

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शाह ने कहा, ''मैं इसी देश के इतिहास के कुछ घटनाएं बताता हूं. उन्होंने कहा कि 1948 में कश्मीर में हमारी सेनाएं निर्णायक बढ़त पर थी, सरदार पटेल ना बोलते रहे जवाहर लाल नेहरू ने एकतरफा युद्धविराम कर दिया था. शाह ने कहा कि 1960 में सिंधु जल पर भौगोलिक और रणनीतिक रूप से हम बड़े मजबूत थे. उन्होंने सिंधु समझौता क्या किया 80 प्रतिशत भारत का पानी पाकिस्तान को दे दिया.'' शाह ने आरोप लगाया कि 1965 की लड़ाई में हाजीपीर जैसे रणनीतिक जगह पर हमने कब्जा किया तो 1966 में लौटा दिया.

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इंदिरा गांधी की सराहना

अपने भाषण के दौरान अमित शाह ने 1971 के पाकिस्तान के साथ युद्ध में सेना के शौर्य और पाकिस्तान बनने को लेकर इंदिरा का समर्थन किया. उन्होंने पाकिस्तान के दो टुकड़े किए और बहुत बड़ी विजय थी और हम सदियों तक गर्व करेंगे. पर हुआ क्या 93 हजार युद्धबंदी हमारे पास थे और 15 हजार वर्गकिलोमीटर क्षेत्र पाकिस्तान का हमारे पास था. उस वक्त पाकिस्तान की सेना का 42 फीसदी सेना बंदी थी, लेकिन शिमला में समझौता हुआ पीओके का मामला ही उलट पड़ गया.

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